1 - मुझे लगता है कि हम अंधे हैं. ऐसे अंधे जो देख तो सकते हैं लेकिन देखते नहीं.
2 - अंत में हम पाते हैं कि ज़िंदा रहने की इकलौती शर्त मर जाना है.
3 - हमारे भीतर कुछ ऐसा है जिसका कोई नाम नहीं है, वही कुछ ही दरअसल हम हैं.
4 - आर्थिक सत्ता ही राजनीतिक सत्ता का निर्धारण करती है, और सरकारें महज आर्थिक सत्ता के राजनीतिक कार्यकर्ता की भूमिका निभाती हैं.
5 - लोग इस भ्रम में रहते हैं कि वे लोकतांत्रिक व्यवस्था में रह रहे हैं, लेकिन यह उसका बाहरी रूप ही है. हकीकतन हम एक धनिक-तंत्र में रह रहे हैं.
6- शायद भाषा ही अपनी जरूरत के लेखकों को चुनती है, उनका इस तरह इस्तेमाल करती है कि उनमें से प्रत्येक उसके किसी छोटे हिस्से को अभिव्यक्त कर सके.
7 - समस्या यह है कि दक्षिणपंथ को शासन करने के लिए किसी विचार की जरूरत नहीं होती, जबकि वामपंथ विचारों के बिना शासन कर ही नहीं सकता.
8 - दुनिया, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन जैसे संस्थानों द्वारा शासित हो रही है जो लोकतान्त्रिक नहीं हैं.
9 - इंसान को शब्द अपने विचारों को छिपाने के लिए नहीं दिए गए थे.
10 - हम शब्दों का इस्तेमाल एक-दूसरे को समझने के लिए करते हैं और कभी-कभी तो एक-दूसरे को पाने के लिए भी.
11 - सभी मर्द एक जैसे होते हैं, उन्हें लगता है कि चूँकि वे किसी औरत की कोख से पैदा हुए हैं, इसलिए उन्हें औरतों के बारे में जानने लायक सब कुछ पता है.
12 - आप वह नाम जानते हैं जो आपको दिया गया था, वह नाम नहीं जानते जो आपके पास है.
13- पढ़ना शायद किसी स्थान विशेष पर होने का एक और तरीका है.
14 - भावना और दिल के मामलों में बहुत ज्यादा हमेशा बहुत थोड़े से बेहतर होता है.
15 - अगर आपको पहले से जवाब पता है तो आपके सवाल झूठे हैं.
16 - पसंद स्वामित्व का सबसे अच्छा स्वरुप है जबकि स्वामित्व पसंद का सबसे खराब स्वरुप.
17 - पेड़ काटे जाने पर रोता है, कुत्ता पीटे जाने पर भौंकता है जबकि मनुष्य कष्ट पहुंचाए जाने पर परिपक्व होता है.
18 - इंसान के लिए शब्द परछाइयों की तरह होते हैं, परछाईयाँ रोशनी की व्याख्या नहीं कर सकतीं और इस रोशनी एवं परछाईं के बीच एक अपारदर्शी चीज होती है जिससे शब्द जन्म लेते हैं.
19 - टापू को देख पाने के लिए आपको टापू छोड़ना पड़ेगा, हम खुद को तब तक नहीं देख सकते जब तक कि खुद से आज़ाद न हो जाएं.
20 - स्वर्ग और नर्क की खोज करने के लिए मानव शरीर के अतिरिक्त और कुछ जानने की जरूरत नहीं है.
21 - शायद केवल अन्धों की दुनिया में ही चीजें वही होती होंगी जो कि वे सचमुच हैं.
(अनुवाद : Manoj Patel)
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