(अनुवाद : मनोज पटेल)
पाब्लो नेरुदा
अगर मैं मर चुका हूँ और अनजान हूँ इस बात से
तो भला कौन बताएगा मुझे वक़्त?
फ़्रांसीसी बसंत कहाँ से पाता है
इतनी सारी हरी-भरी पत्तियाँ?
मधुमक्खियों से हैरान अंधा आदमी
कहाँ बना सकता है अपना बसेरा?
अगर ख़त्म हो गया है सारा पीलापन
तो हम रोटी किस चीज से बनाएंगे भला?
:: :: ::
एम टी सी क्रोनिन
अगर आप मर चुके हैं और अनजान हैं इस बात से
तो वक़्त पूछिए किसी गर्भवती घड़ी का.
बसंत में फ्रांस
सिनेमा से पाता है अपनी पत्तियाँ.
मधुमक्खियों से हैरान अंधे आदमी को
शांत लकड़ी का बनाना चाहिए अपना घर.
अगर ख़त्म हो जाए सारा पीलापन
तो हम खिलखिलाहट से बनाएंगे रोटियाँ.
:: :: ::
पाब्लो नेरुदा
बताओ मुझे, क्या गुलाब सचमुच नंगा है
या उसके कपड़े पहनने का तरीका ही यही है?
पेड़ भला क्यों छिपाते हैं
अपनी जड़ों की शान?
कौन कान देता है
गुनहगार मोटरकार के प्रायश्चित पर?
बारिश में गतिहीन खडी रेलगाड़ी से ज्यादा उदास
कोई चीज है क्या दुनिया में?
:: :: ::
एम टी सी क्रोनिन
मैं बताती हूँ, न तो नंगा है न ही कपड़े पहने है गुलाब
बल्कि सिर्फ इंसान का दिल ही उतारता है उसके कपड़े.
पेड़ छिपाते हैं अपनी जड़ों की शान
क्योंकि उन्हें बढ़ना है हर हालत में.
सिर्फ नई-नवेली सड़क ही कान देती है
गुनहगार मोटरकार के प्रायश्चित पर.
बारिश में गतिहीन खडी रेलगाड़ी से ज्यादा उदास
कोई चीज है क्या दुनिया में? एक माँ.
:: :: ::
Manoj Patel, Parte Parte, Parhte Parhte, Padte Padte