Thursday, March 22, 2012

अरुंधती राय : एडवर्ड सईद स्मृति व्याख्यान २०१२

हाल ही में आउटलुक में प्रकाशित अरुंधती राय का लेख 'पूंजीवाद : एक प्रेतकथा' ५ मार्च को प्रिंसटन में दिए गए एडवर्ड सईद स्मृति व्याख्यान २०१२ पर आधारित है. उनकी प्रारम्भिक टिप्पणियाँ ये थीं:   

 
एडवर्ड सईद स्मृति व्याख्यान २०१२ : अरुंधती राय 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

प्रोफ़ेसर एडवर्ड सईद से मैं सिर्फ एक बार, उनके जीवन के आखिरी दौर में मिली थी. विदा लेते वक्त उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथों में लेकर कहा "फिलिस्तीन को तुम कभी मत भूलना." जैसे मैं भूल जाती. जैसे हममें से कोई भी भूल सकता है. 

हालांकि आज का मेरा भाषण फिलिस्तीन के बारे में नहीं है मगर मैं फिलिस्तीन की जनता के संघर्ष के साथ हूँ. और ईरान की जनता के साथ भी जो प्रतिबंधों से त्रस्त है और जिसे युद्ध की धमकी दी जा रही है. 

'९० के दशक की शुरूआत तक, उसके पहले जब भारत ने वाशिंगटन की राय के साथ इत्तेफाक जाहिर करते हुए भूमंडलीय पूंजी के लिए अपने बाज़ार खोल दिए, भारत सरकार फिलिस्तीन और ईरान की दोस्त हुआ करती थी. उसके बाद से उसे अपनी विदेश नीति में भी 'ढांचागत सुधार' करने पड़े हैं, और अब वह खुद को अमेरिका और इजराइल की 'स्वाभाविक मित्र' बताती है. फिर भी भारत के लोगों के लिए फिलिस्तीन की जनता के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करना अधिक आसान है जबकि वह खुद अपने पिछवाड़े में सैन्य अधिग्रहण पर एक समझदार और बेईमान खामोशी बनाए रखती है जहां पांच लाख से अधिक भारतीय  सैनिकों ने कश्मीर की छोटी सी घाटी पर कब्जा जमा रखा है और वे इसे सामूहिक कब्रों, यातनागृहों और सैन्य छावनियों से पाटे जा रहे हैं. मैं एक बार फिर से भारतीय कब्जे के खिलाफ उनके संघर्ष में कश्मीर की जनता के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित करती हूँ. और उन सभी लोगों के प्रति भी जिनसे उनकी आजादी एक चेकबुक, एक क्रूज मिसाइल या इन दोनों के किसी गठजोड़ द्वारा छीन ली गई है. 

मेरे भाषण का शीर्षक 'बेदखली की राजनीति' होना था. मैं दरअसल इससे घनिष्ठ रूप से जुड़े और कम विचार किए गए विषय -- 'अधिग्रहण की राजनीति' पर बोलने जा रही हूँ. 

मेरे आज के भाषण का शीर्षक है 'पूंजीवाद: एक प्रेतकथा'. इसकी शुरूआत मुम्बई से होती है, एंटिला नाम की एक ऊंची इमारत के गेट के बाहर से...    
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2 comments:

  1. अंत शुरूआत से हो रही है!
    पाँच लाख सैनिक अकेले कश्मीर में ? आश्चर्य!

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  2. shamelessly equating Kashmir with Pelestine n Kosovo n likes Ms Roy plz check your words before spitting them ... neways I like ur article in out look on Corporate Mafia hijacking our country with help of Political parties ....
    Thank you Mr patel

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