Wednesday, September 26, 2012

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : कौन क्या देखना चाहता है


रोकोको और दूसरी दुनियाएं' संग्रह से अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...   

कौन क्या देखना चाहता है : अफ़ज़ाल अहमद सैयद 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)  

वेंडी डी 
हशरात के खिलाफ हमारी जंग 
अपने तमाशबीनों के लिए महफ़ूज करना चाहती हैं 
(उन्हें इस बात के लिए पैसे मिलेंगे)

उनकी खुशकिस्मती से 
हम इस वक़्त टिड्डी दल की ज़द में हैं 

इस बार गर्मियों में 
वह 
ईपानेमा या कोपा काबाना जाने का मंसूबा 
तर्क कर चली हैं 
और इस फ़िक्र से आज़ाद हैं कि 
अल्टीमेट बिकनी क्या है 

खुराक, लिबास  और मुमकिन ख़तरात के 
प्रिंटआउट के साथ 
वह हमारी साईकाडेलिक धूप में 
आना चाहती हैं 

डाक्टर डी 
अपने दांत सफ़ेद करने के लिए 
बेकिंग सोडा नहीं इस्तेमाल करतीं 
और उन्हें 
फ़्रांसीसी मेनिक्योर से दिलचस्पी नहीं है 
(यह काफी महंगा अमल है)

उन्हें टिड्डी दल से दिलचस्पी है 
जिसका जिक्र ख़ुदा, पावसानियास और प्लिनी कर चुके हैं 

वह 
अट्रोक्सन शहंशाहों के मुक़ाम से 
हमें एरीना में शिकस्त खाते देखना चाहती हैं 

हम चाहते हैं 
वेंडी  
फारफारा तखल्लुस कर ले 
अपने बदन के किसी हिस्से को (आरिज़ी या मुस्तक़िल तौर पर) गोदाए 
और 
एक मूवी में बेडरूम सीन करे 
जो हम क़रीबतरीन वीडियो लाइब्रेरी से 
हासिल कर सकें  
                    :: :: :: 

हशरात = कीड़े-मकोड़े 
ईपानेमा कोपा काबाना = समुद्र तटों के लिए प्रसिद्द ब्राजील के दो पर्यटन-स्थल  
तर्क = त्याग, छोड़ 
मुमकिन ख़तरात = संभावित  खतरे 
तखल्लुस = उपनाम 
आरिज़ी = अस्थायी 
मुस्तक़िल = स्थायी 
क़रीबतरीन  =  निकटतम 

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