Monday, December 3, 2012

क्रिस्टीना टोथ की कविता

क्रिस्टीना टोथ हंगरी की जानी-मानी कवयित्री हैं. हंगरी साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक लारीअट पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित. फिलहाल बुडापेस्ट में रहती हैं जहां कविताओं के लेखन और अनुवाद के अतिरिक्त स्टेंड ग्लास विंडोज की डिजायनिंग भी करती हैं. यहाँ उनकी तीन कविताओं की एक सीरीज 'पूर्वी यूरोप : त्रिफलक' से एक कविता प्रस्तुत है...    

पूर्वी यूरोप   त्रिफलक : क्रिस्टीना टोथ 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

लाउडस्पीकर पुकारता है हमारा नाम 
और हम खड़े हो जाते हैं उछलकर. गलत हिज्जे लिखे जाते हैं 
हमारे नाम के और गलत उच्चारण किया जाता है उनका, 
मगर हम मुस्कराया करते हैं शालीनतापूर्वक. 
हम साबुन उठा लाते हैं होटल से, 
और बहुत पहले पहुँच जाते हैं स्टेशन. 
भारी सूटकेस उठाए, ढीली-ढाली पतलूनों में, 
हर कहीं मंडराया करता है हमारा एक हमवतन. 
ट्रेन गलत दिशाओं में लेकर चली जाती हैं हमें, 
और जब पैसे देते हैं हम, इधर-उधर लुढ़का करती है रेजगारी. 

हम डरे होते हैं अपनी सरहदों पर, और गुम हो जाते हैं 
उनके आगे, मगर पहचानते हैं एक-दूसरे को. 
हम परिचित हैं दुनिया के दूसरे हिस्से से, 
कोट के नीचे पसीने से तर कपड़ों से. 
स्वचालित सीढ़ियाँ होती हैं हमारे नीचे, 
ठसाठस भरे होते हैं शापिंग बैग, और हमारे जाते समय 
बज उठता है अलार्म. 
हमारी चमड़ी के नीचे, चमक बिखेरते एक रत्न की तरह 
एक माइक्रोचिप है किसी अपराध-बोध की. 
                    :: :: ::

3 comments:

  1. सदिओं से शाशकों ने जो आम आदमी के मानस को ध्वस्त कर दिया है उस अनिच्छ्नीय विरासत का सटीक निदर्शन.शुक्रिया क्रिस्टीना......शुक्रिया मनोज भाई.

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  2. चुपके से किये गए अपराध की ग्लानि मन को फटकारती रहती है.हम बाहर से सामान्य दीखते हुए भी अंदर से बेहद भयभीत होते हैं.

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