(बिलावल भुट्टो के कश्मीर वाले बहुचर्चित बयान पर अमरीकन देसी डॉट कॉम नामक वेबसाइट पर उनके नाम एक खुला पत्र प्रकाशित हुआ है. मौजूं लगा तो उसका अनुवाद कर आपके सामने पेश कर रहा हूँ.)
बिलावल भुट्टो के नाम एक खुला पत्र : अमरीकन देसी
(अनुवाद : मनोज पटेल)
प्रिय बिलावल,
पहले तो तुम्हें जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद. 26! बड़ी ख़ास उम्र होती है यह. मुझे भी अपना वह दौर याद आ गया जब मैं नौजवान और बेवकूफ था, पर शायद इतना भी नहीं. अपनी सालगिरह पर बतौर एक ख़ास तोहफा तुम सोशल मीडिया पर चर्चा में हो और हर हिन्दुस्तानी तुम्हारे बारे में बात कर रहा है. पड़ोसियों की मुहब्बत समझकर शुक्रिया कहो. यार तहजीब कहाँ गई तुम्हारी?
मैंने वह वीडियो क्लिप बड़ी दिलचस्पी से देखी. वही जिसमें तुमने कश्मीर का एक-एक इंच पाकिस्तान के लिए लेने की बात की थी. बॉस इतनी कम उम्र में ऐसा पक्का इरादा फ़क्र की बात है. तुम्हें इस उम्र में ऐसे स्पष्ट विचार रखने के लिए अपनी पीठ थपथपानी चाहिए जब तुम्हारी उम्र के ज्यादातर हिन्दुस्तानी जावा और एसक्यूएल के सिद्धान्तों का रट्टा मारने और गुड़गांव की किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी में 50 फीसदी बढ़ोत्तरी वाली नौकरी हथियाने में जुटे रहते हैं. इससे तुम गलत प्राथमिकताओं की बाबत भी जान सकते हो.
फिर से तुम्हारे भाषण की बात करें. जिस अनगढ़ जोश और उत्साह से तुमने अपनी बात रखी वह मुझे अच्छा लगा. 'लेंगे लेंगे…कश्मीर…पूरा का पूरा कश्मीर…पाकिस्तान का कश्मीर…लेंगे'. क्या तो तुमने अपने हाथ ताने, अपनी आवाज ऊंची की और बिल्कुल किसी डब्ल्यूडब्ल्यूई उद्घोषक की तरह बोले. फर्क बस यह था कि तुम्हारी आवाज़ अभी फटी नहीं है जिससे वह डरावनी की बजाए प्यारी लग रही थी. और तुम्हारी इस क़ातिल खूबसूरती को क्या कहूँ, बॉस अगर मैं वहाँ होता तो तुम्हारे गालों को चूमता और निःस्वार्थ प्रेम के वशीभूत तुम्हारे उन चमकते गालों पर चुटकी काटता. चालाक लोमड़ी, तुम्हें खूबसूरत होने के चलते औरतों के वोट मिलेंगे और इस भाषण के चलते मर्दों के.
बॉस, कश्मीर तो नहीं मिल पाएगा. मतलब तुम क्यूट वगैरह तो हो ही, तुम्हारा उस खूबसूरत महिला मंत्री से चक्कर भी रहा होगा जिसके हैण्डबैग की कीमत बाक़ी के पाकिस्तान से ज्यादा हुआ करती है, मगर ज़िंदगी सब पर इतनी मेहरबान तो होती नहीं. तुम्हें कश्मीर चाहिए. यो यो हनी सिंह को ग्रैमी अवार्ड चाहिए. मुझे एक आईफोन 6 चाहिए. मगर हाय री क़िस्मत !
लेकिन हम तुम्हारे लिए दूसरा तोहफा जुगाड़ सकते हैं. एक टाइम मशीन. या बेबी, तुमने बिल्कुल ठीक सुना. मैं भविष्य में झाँकने में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ताकि तुम देख सको कि तुम्हारी ज़िंदगी में आगे क्या होने वाला है.
वहाँ एक शख्स है. उम्र 44 साल, तुम्हारी ही तरह फेयर एण्ड लवली, तुम्हारी ही तरह नौजवान दिलों की धड़कन, तुम्हारी ही तरह इंग्लैण्ड में तालीमयाफ्ता, तुम्हारी ही तरह सियासी खानदान का चश्मो-चिराग़, और अपने लोगों के लिए उसके भी बोल हँसी और संजीदगी का सटीक घालमेल होते हैं. मैं तुम्हारे सामने राहुल गांधी को पेश करता हूँ. वह 18 साल बाद के तुम हो. वह तुम्हारी टाइम मशीन है. तुम क्या बनने वाले हो यह देखने के लिए बस उसे देख लो. तुम्हारा स्वागत है.
तुम्हें पता है कि आज पूरा हिन्दुस्तान क्या सोच रहा है? कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान बिल्कुल एक जैसे हैं. हमारी तहजीब एक है. हम वही रोटी और बटर चिकन खाते हैं. हम एक ही पायरेटेड बॉलीवुड म्यूजिक सुनते हैं. हमारी क्रिकेट टीमें एक जैसी अस्थिर और आसानी से लालच में फंसने वाली हैं. कभी हमारी हॉकी टीमों का बोलबाला था मगर अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादातर उनकी भद ही पिटती है. हमारे नेता एक जैसे जोकरों के समूह हैं. अपने ख़ास अंदाज में शाहरुख खान के बाहें फैलाने पर सरहद के दोनों ही तरफ की लड़कियाँ बेहोश हो जाती हैं.
हमारे पास राहुल हैं. उनके पास तुम हो. सेम टू सेम.
फिर से कश्मीर पर आते हैं. कम ऑन यार. इतने परेशान मत हो. ठीक है, हम एक चीज आजमा सकते हैं. तुम अर्णव जी के न्यूज ऑवर में पैनल डिस्कशन के लिए क्यों नहीं आ जाते? वहाँ आकर तुम समझाओ कि तुम्हें क्यों वह सूबा चाहिए जिसके लिए पिछले साठेक सालों में भारत चार बार तुम्हारे देश की मिट्टी पलीद कर चुका है. ठीक है न?
अगर उनके शो में तुम बगैर किसी बाधा के दस पूरे वाक्य बोल ले गए तो कश्मीर तुम्हारा. बोलो चलेगा? शर्त बस यही है कि नाकाम रहने पर तुम्हें एक महीने तक लगातार अरबाज खान का 'माँ तुझे सलाम' देखना पड़ेगा और हर बार उसके 'दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे' कहने पर तुम्हें चिकन-डांस करना होगा.
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