Wednesday, December 21, 2011

महमूद दरवेश : यदि तुम नदी लिखने में गलती न करो

सिनान अन्तून द्वारा अनूदित महमूद दरवेश के गद्य की तीसरी और अंतिम किताब 'इन द प्रजेंस आफ एब्सेंस' हाल ही में प्रकाशित हुई है. यहाँ उसका एक संपादित अंश प्रस्तुत है...


अक्षर-अक्षर शब्द : महमूद दरवेश 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

जब एक अक्षर को दूसरे अक्षर के साथ, यानी एक निरर्थकता को दूसरी निरर्थकता के साथ, मिलाया जाता है तो एक दुरूह रूप, एक ध्वनि विशेष की स्पष्टता को प्रकट करता है. यह धीमी स्पष्टता एक छवि का आकार लेने हेतु अर्थ का मार्ग प्रशस्त करती है. कुछ अक्षर मिलकर एक दरवाजा या एक मकान बन जाते हैं. 

कितना मजेदार खेल है यह! एकदम जादू! शब्दों से धीरे-धीरे पूरी दुनिया जन्म लेती है. इस तरह पाठशाला कल्पना के लिए खेल का मैदान बन जाती है... जो कुछ भी दूर है वह पास आ जाता है. जो बंद है, वह खुल जाता है. यदि तुम "नदी" लिखने में गलती न करो तो नदी तुम्हारी कापी से होकर बहने लगेगी. आसमान को यदि तुम ठीक-ठीक लिख दो तो वह भी तुम्हारा एक निजी सामान हो जाता है.  

यदि तुम त्रुटिहीन लिखाई में महारत हासिल कर लो तो जो कुछ भी तुम्हारे नन्हें हाथों की पहुँच से परे है वह तुम्हारे दामन में आ गिरेगा. जो कोई कुछ लिखता है वह उस पर मिल्कियत भी रखता है. 

अक्षर तुम्हारे सामने पड़े हुए हैं, उन्हें उनकी तटस्थता से मुक्त करो और उनके साथ बेसुध ब्रह्माण्ड में खेल रहे एक विजेता की भांति खेलो. अक्षर बेचैन हैं, वे एक छवि के भूखे है और छवि एक अर्थ की प्यासी है. अक्षर, अर्थ के मार्ग में बिखरे हुए कंकड़ों के रूप में एक मौन निवेदन हैं. एक अक्षर को दूसरे अक्षर के साथ रगड़ो तो एक तारे का जन्म हो जाता है. एक अक्षर को दूसरे अक्षर के पास लाओ तो तुम बारिश की आवाज़ सुन सकते हो. एक अक्षर को दूसरे अक्षर के ऊपर रख दो तो तुम अपना नाम थोड़े से डंडों वाली एक सीढ़ी के रूप में बना पाओगे. 
                                                             :: :: :: 
manojpatel

6 comments:

  1. अक्षर के साथ कल ही एक खेल खेला है। लेकिन यहाँ सांकेतिक रूप से बात हो रही है शायद।

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  2. har bar ki tarah dil ko sukun aur dard mahsoos hua hai....

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  3. अक्षर-अक्षर शब्द और शब्दों से धीरे-धीरे पूरी दुनियां जन्म लेती है......बहुत खूब सर ......!!

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  4. अक्षर को दूसरे अक्षर के पास ले जाओ तो बारिश की आवाज़ सुन सकते हो !

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