Saturday, January 21, 2012

निकानोर पार्रा : कलातथ्य - 2


१९६७ से पार्रा ने छोटी कविताएँ लिखना शुरू किया और बाद में इन्हें पोस्टकार्डों के संग्रह के रूप में 'आर्टीफैक्टोज' के नाम से प्रकाशित कराया. यह प्रकाशन एक तरह से उनके हालिया कामों की पूर्वसूचना था. इन्हें उनके एंटीपोयम की तार्किक परिणति कहा जाता है. ये "दृश्य कलातथ्य" एम टीवी पीढ़ी के लिए हाइकू जैसे हैं, विज्ञापनी कला से प्रभावित चित्रों और शब्दों को मिलाकर तैयार किए गए नारों जैसे. पार्रा का घर तमाम घरेलू साजोसामान के साथ लगे हुए हस्तलिखित साइनबोर्डों से तैयार ऎसी 'कलाकृतियों' से भरा हुआ है. ऎसी कलाकृतियों की एक झलक आप इस ब्लॉग पर पहले देख चुके हैं. आज कलातथ्य की एक और कड़ी प्रस्तुत है. आज प्रस्तुत ये सभी कलातथ्य उनके एक जैसे ही रेखाचित्र के साथ लिखे हुए थे जिसे नीचे दिया जा रहा है...  











कलातथ्य - 2 : निकानोर पार्रा 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 
                       
अभी-अभी देखा गया है 80 से ऊपर का एक आशिक 
पचास से ऊपर की सभी लड़कियों सावधान 
                       :: :: ::

               ईराक में युद्ध 
मुहं बाए खडा हूँ मैं 
लगता है कभी बंद नहीं कर पाऊंगा इसे अब 
                       :: :: ::

                       1973 
बहुत अच्छे !...... अब 
इन आजादी दिलाने वालों से कौन आज़ाद करेगा हमें ?
                       :: :: ::

                      चिली  2000 
यहाँ सरकार वो करती है जो वह कर सकती है 
सेना वो करती है जो वह चाहती है 
केवल चर्च ही वो करता है जो उसे करना चाहिए : कुछ नहीं 
                     :: :: ::

             बकवास है कविता-वविता 
कार्ला सैन्डोवल हमसे कहा करती थी :
निस्संदेह कुछ माननीय अपवाद भी हैं भई
                    :: :: :: 

              बस इतनी सी बात 
9 महीनों का समय ख़त्म हुआ 
और परिसर को खाली कर देने के अलावा कोई चारा न बचा 
                    :: :: ::

                  देववाणी 
आप जो भी करेंगे, पछताएंगे 
                    :: :: :: 

           बंद करो बकवास ! 
कोई हद होती है, 2000 सालों से चला आ रहा है झूठ !
                    :: :: :: 
Manoj Patel, Parte Parte, Parhte Parhte, Padte Padte, 9838599333 

6 comments:

  1. 'बस इतनी सी बात', 'देव वाणी', 'बंद करो बकवास'और 'चिली2000' बेहद तीखी मार करती हैं.

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  2. बहुत सुंदर छोटी कवितायें...गहरी चोट करती हुईं, आभार!

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  3. कलातथ्य-२ के ८ तथ्य ...और इनको ऐसा सहेजा गया है कि शुरू से अंत तक पढ़ा जाय तो एक ही लगता है.....कमाल सर जी ......आभार ...!!

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  4. 'निस्संदेह कुछ माननीय अपवाद भी हैं भाई'
    ये छोटी कवितायेँ ऐसा ही अपवाद हैं!
    सुन्दर अनुवाद!

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