Monday, January 30, 2012

नाजिम हिकमत : थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट

आज फिर से पढ़ते हैं नाजिम हिकमत की एक कविता... 

 
थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट : नाजिम हिकमत 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट में. 
आज मैं खड़ा हूँ आँखें बंद किए सड़क के किनारे,
          और तुम एक मौत भर की दूरी पर. 
शायद कोई थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट नहीं है प्राग में 
          और बातें बना रहा हूँ मैं. 

हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट में. 
मैं निहारा करता तुम्हारा चेहरा और गाया करता था दिल से 
          पैगम्बर सोलोमन के सबसे बेहतरीन गीत.  

हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट में. 
आज मैं खड़ा हूँ आँखें बंद किए सड़क के किनारे, 
          और तुम एक मौत भर की दूरी पर, 
          एक टूटे हुए आईने में, उल्टी-पुल्टी और विरूपित. 

हम मिला करते थे प्राग के थ्री स्टार्क्स रेस्टोरेंट में. 
सोन्या दान्योलोवा, प्यारी दोस्त ! 
कितनी जल्दी हम भूल जाते हैं मृतकों को.
                                                         १८ अगस्त, १९५९ 
                    :: :: :: 
Manoj Patel, Blogger & Translator 

3 comments:

  1. कितनी जल्दी हम भूल जाते हैं मृतकों को!

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  2. स्मृति विस्मृति का यह चक्र भी ज़िन्दगी और मौत की तरह ही रहस्यमय है!

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  3. Aur tum ek maut bhar kee dooree par.. Waah.. - Reena Satin

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