Wednesday, March 28, 2012

राबर्तो हुआरोज़ : पोर्चिया की स्मृति में

आज प्रस्तुत है एंतोनियो पोर्चिया की स्मृति में लिखी गई राबर्तो हुआरोज़ की 'एलेवेंथ वर्टिकल पोएट्री' में संकलित यह कविता...   

 
राबर्तो हुआरोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

हर कविता हमें मजबूर करती है पिछली कविता को भूलने के लिए, 
मिटा देती है सारी कविताओं का इतिहास, 
मिटा देती है अपना इतिहास 
और यहाँ तक कि मनुष्य का इतिहास भी 
शब्दों का एक चेहरा हासिल करने के लिए 
जिसे मिटा न पाए रसातल.  

कविता का हर शब्द भी 
हमें मजबूर करता है पिछले शब्द को भूलने के लिए, 
भाषा के बहुरूपी संदूक से 
काट देता है एक पल को 
और उसके बाद पुनः भिड़ता है दूसरे शब्दों से 
एक अन्य भाषा के उदघाटन की 
अनिवार्य रस्म को पूरा करने के लिए. 

और कविता की हर खामोशी भी 
कविता के इस महान विस्मरण में  
हमें मजबूर करती है पिछली खामोशी को भूलने के लिए 
और तब तक सिमटती जाती है शब्द दर शब्द, 
जब तक कि दुबारा उभरकर वह ढँक नहीं लेती कविता को 
किसी सुरक्षा लबादे की तरह 
जो बचाए रहता है उसे किसी अन्य कथन से. 

यह अजीब नहीं है. 
गहराई से देखें तो, 
हर व्यक्ति हमें मजबूर करता है पिछले व्यक्ति को भूलने के लिए, 
मजबूर करता है सभी अन्य व्यक्तियों को भूल जाने के लिए. 

अगर कोई चीज दुबारा वही नहीं रहती, 
तो सभी चीजें अंतिम हैं. 
अगर कोई चीज दुबारा वही नहीं रहती, 
तो सभी चीजें पहली हैं. 
                                                    (एंतोनियो पोर्चिया की अमिट स्मृति में) 
                    :: :: ::

9 comments:

  1. हर क्षण बदलते प्रतिमानों को एक क्षण का सम्पूर्ण जीवन देती कविता!
    वाह!

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  2. यह अजीब नहीं है,गहराई से देखें तो..वाह..सारगर्भित कविता...सुंदर अनुवाद..!!

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  3. यह अजीब नहीं है,गहराई से देखें तो..वाह..सारगर्भित कविता..सुंदर अनुवाद..!!

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  4. हर कविता अपने आप मे एक सम्पूर्ण घटना होती है ,सबसे संपरक्त होते हुए भी स्वतंत्र होने का आभास देती है और अपनी शक्तिशाली उपस्थिति से पिछली कविताओं की स्मृति को धुंधला देती है ! और इस तरह हर कविता पहली और अंतिम होने का दावा करती-सी प्रतीत होती है !यही बात व्यक्तियों पर भी लागू होती है !वस्तुतः हम जिस क्षण मे होते हैं वही महत्वपूर्ण होता है ,कविता उसी मे जन्म लेती है !

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  5. behatar kavita ki prastuti ke liye aabhar Manoj jee. mai prayah aapki har post padhata hu. lagatar behtar kam kar rahe hai aap.

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  6. बहुत बढ़िया..........

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  7. स्मृति और विस्मृति के परिचित अर्थों को भी कुछ देर भूल जाने की ओर एक इशारा ?

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  8. ग़ज़ब कविता है. एक-एक पंक्ति उद्धृत किए जाने योग्य. आशुतोष कुमार का इशारा भी सही इशारे की ओर है.

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