Wednesday, April 20, 2011

चार्ल्स सिमिक की कविताएँ


( 1938 में बेलग्रेड में जन्मे चार्ल्स सिमिक ने कविताओं के अलावा संस्मरण और निबंध भी लिखे हैं. कई अनुवाद भी प्रकाशित. पेरिस रिव्यू के कविता सम्पादक के रूप में कार्य करने के अतिरिक्त वे जाज़, कला और दर्शन जैसे विषयों पर भी कलम चलाते रहे हैं. अन्य पुरस्कारों के साथ ही वे 1990 में पुलित्ज़र पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं. प्रस्तुत हैं उनकी कविताएँ  - Padhte Padhte )











कुछ अज्ञेय 
क्या वह ताजी सिंकी ब्रेड की सुगंध में थी 
सड़क पर मुझसे मिलने चली आई थी जो ?
या अर्ध-निर्लिप्त नेत्रों वाली उस लड़की के चेहरे में 
अपनी सफ़ेद ड्रेस ले जा रही थी जो धुलाई वाले के यहाँ से ?

जलकर काले पड़े उस मकान का दृश्य था 
जहां गया था मैं काम की तलाश में कभी ?
पर्चियां बाँट रहा वह बिना दांतों वाल वृद्ध था 
धंधा समेट रहे एक वस्त्र भण्डार के बारे में ?

या  बच्चा गाड़ी धकेलती वह औरत थी 
ओझल होती हुई मोड़ पर, जिसके पीछे भागा था मैं ?
मानो उस गाड़ी में सोया बच्चा परिचित रहा हो मेरा,
और इस व्यस्त सड़क पर अकेला पाया हो उसने मुझे

समझ नहीं पाता ठीक-ठीक, महसूस होता है ऐसे इंसान की तरह 
लम्बी बीमारी से उठकर निकला हो जो पहली बार,
दुनिया को देखता है अपने दिल से 
और फिर वापस भागता है घर को अपने अनुभव भुलाने के लिए.     
                                   * *

तरबूज 
फलों के ठेले पर धरे हुए 
हरे बुद्ध 
हम खाते हैं हँसी 
और थूक देते हैं दांत.
                                  * *

दिसम्बर 
गिर रही है बर्फ 
और घूम रहे हैं बेघर बंजारे 
कन्धों से लटकाए हुए 
विज्ञापन पट 

एक दुनिया के खात्मे का 
एलान करता हुआ 
और दूसरा स्थानीय नाई की दूकान की दरों का. 
                                  * *

सबसे महत्वपूर्ण पल 
लाचार होता है एक चींटा 
सर पर आ खड़े एक जूते के विरुद्ध,
और बस एक पल होता है उसके पास 
इक्का-दुक्का रोशन ख्यालों के लिए, 
काला जूता चमकता हुआ 
वह देख सकता है इसमें 
अपना विरूपित अक्स, 
शायद बढ़ा हुआ 
एक भीमकाय डरावने चींटे के रूप में 
हिलाता हुआ अपने हाथ-पैर 
धमकाने के अंदाज में ?

जूता हिचकिचा रहा हो शायद 
कुछ देर कुछ शक करता हुआ,
जाले बटोरता,
या ओस ? 
हाँ, और जाहिरन न. 
                                     * *

(अनुवाद : मनोज पटेल)
Charles Simic Poems in Hindi Translation 

5 comments:

  1. चार्ल्स सिमिक की सभी रचानों का अनुवाद वाकई बेहद सुन्दर है. इतनी ख़ूबसूरत रचनाधर्मिता के लिए आपका साधुवाद सम्मानीय मनोज जी. आप द्वारा हमें जो कविताओं का विशाल आकाश मिला, उसमे विचरते हुए आनंद की अनुभूति अकथनीय है. नमन !

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  2. thanks for shairing...i am reading him first time

    regards

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  3. you can read shayari sms jokes
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  4. कविताओं का अच्छा चयन. और अनुवाद तो खैर....

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