Wednesday, November 24, 2010

माइआ अंजालो की कविताएँ


सबकुछ 
मुलायम हो जाओ दिन, मखमल की तरह मुलायम,
आ रहा है मेरा सच्चा प्यार.
धूल धूसरित सूरज, चमको थोड़ा ज्यादा,
तैयार कर लो अपने सुनहरे रथ को.

नर्म हो जाओ हवा, रेशम की तरह नर्म,
कुछ कह रहा है मेरा सच्चा प्यार.
खामोश कर लो परिंदों अपने चांदी जैसे गले को,
मुझे तो चाह है उसकी सोने जैसी आवाज़ की.

आ जाओ मौत, आ जाओ फ़ौरन,
बुनने लग जाओ मेरा काला कफ़न.
शांत हो जाओ ऐ दिल, मौत की तरह शांत,
विदा हो रहा है मेरा सच्चा प्यार. 



वे घर चले गए 
वे घर चले गए और बताया अपनी पत्नियों से,
कि जीवन में कभी नहीं मिले वे,
मुझ जैसी लड़की से,
लेकिन....वे घर चले गए.

उन्होंने कहा तो कि चमचमा रहा था घर मेरा,
कि कभी घटिया बात की ही नहीं मैनें,
कि एक रहस्य सा रहा मेरे इर्द-गिर्द,
लेकिन....वे घर चले गए.

सभी मर्दों की जुबां पर थीं तारीफें मेरी,
उन्हें पसंद 

थी
 

 मेरी हँसी, मेरी हाज़िरजवाबी, मेरे कूल्हे,


वे एक रात बिताते मेरे संग या दो या तीन,
वे घर चले गए....लेकिन.


निद्राहीन 
 कुछ रातें होती हैं
 जब नींद शर्मीली हो उठती है,
 दूर और मगरूर.
 इसे अपने पाले में करने के
 मेरे सारे छल बल
 निरर्थक साबित होते हैं 
और 
आहत अभिमान की तरह 
वे हो उठते हैं 
और अधिक पीड़ादायक. 


एक ख्याल 
अपना हाथ मुझे दो 

इतनी जगह बनाओ मेरे लिए
कि कर सकूं तुम्हारा नेतृत्व और अनुसरण  
कविता के इस तेज से परे. 

दूसरों के लिए रहने दो 
मर्मस्पर्शी शब्दों की निजता 
और प्रेम की असफलता से प्रेम 

मुझे तो तुम्हारा हाथ चाहिए 
अपना हाथ मुझे दो. 

(अनुवाद : Manoj Patel) 

Maya Angelou, Padhte Padhte

3 comments:

  1. अपना हाथ मुझे दे दो- काश मैं भी आपकी तरह इतने सुन्दर अनुवाद कर पाता. आपको बहुत शुभकामनाएं.

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  2. apke hatho me jadhu hai,,, original sayahi ka rang apne fika nahi nahi hone diya

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