Monday, April 25, 2011

निकानोर पार्रा : पुलिस को गुमराह करने के लिए कुछ मजाक

आज बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर निकानोर पार्रा की वापसी हो रही है. 










पुलिस को गुमराह करने के लिए कुछ मजाक निकानोर पार्रा 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 


शानदार ! अब कौन 
आज़ाद कराएगा हमें आज़ाद कराने वालों से !
हमारे बचने का कोई रास्ता नहीं रहा अब 
* * *

चिली प्रथमतः व्याकरणशास्त्रियों और 
इतिहासकारों का देश था 
देश था यह कवियों का 
अब यह देश है... डाट डाट डाट का 
* * *

पढ़ने वाले लोगों का मैं 100% विशवास करता हूँ 
मुझे भरोसा है कि ...
नागरिक 
असली आशय समझ सकते हैं 
* * *

यातना का रक्तरंजित होना 
जरूरी नहीं 
मसलन 
एक बुद्धिजीवी 
बस उसका चश्मा छुपाना ही काफी है 
* * *

चिड़िया, 
मुर्गियां नहीं होतीं फादर 
घूमने-फिरने की पूरी आजादी 
दड़बे की सीमाओं के भीतर 
* * *

कल 
खाली बर्तनों की कदमताल 
और आज 
भरे हुए मलपात्रों की परेड 
* * *

मैं बहुत निराश हूँ 
मुझे लगता था कि पार्रा हमारी तरफ है.
-- आपको ऐसा क्यों लगता था महामहिम ?
तख्तापलट में ही पता चलता है 
कि कौन किस तरफ है.
* * *

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