Saturday, April 30, 2011

माइआ अंजालो : बेचारी लड़की


माइआ अंजालो की कविताओं के क्रम में आज उनकी यह कविता... 











बेचारी लड़की  :  माइआ अंजालो

(अनुवाद : मनोज पटेल) 

तुम्हें कोई और प्रेमिका मिल गई है 
मैं जानती हूँ यह बात 
कोई जो पूजा करती है तुम्हारी 
बिलकुल मेरी तरह 
तुम्हारे शब्दों को चुनती हुई 
जैसे कि सोना हों वे 
यह मानती हुई कि वह समझती है 
तुम्हारा मन 
बेचारी लड़की 
बिलकुल मेरी तरह.

तुम तोड़ रहे हो एक और दिल 
मैं जानती हूँ यह बात 
और कुछ नहीं कर सकती मैं 
इस बारे में 
अगर उसे बताने की कोशिश करूँ 
जो मैं जानती हूँ तुम्हारे बारे में 
वह मुझे गलत समझेगी 
और मुझे निकाल बाहर करेगी 
बेचारी लड़की 
बिलकुल मेरी तरह.

तुम उसे भी छोड़ दोगे 
मैं जानती हूँ यह बात 
वह कभी नहीं जान पाएगी 
कि तुम क्यों चले गए 
रोया करेगी वह और सोचेगी 
कहाँ गड़बड़ हो गई 
फिर वह शुरू करेगी 
इस गीत को गाना 
बेचारी लड़की 
बिलकुल मेरी तरह. 

8 comments:

  1. इतनी अच्‍छी कविता पर कोई कमेंट नहीं था, अजीब लगा।
    हालांकि कमेंट होना ही चाहिए ये भी जरूरी नहीं।

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  2. अल्लाह...अब कोई क्या कहे...मेरी तरह...!

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  3. इस पर कमेंट करना बहुतों को मुश्किल भी हो सकता है …इस कविता को साझा करने के लिये आभार

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  4. मनोज जी... मायला अन्जेलो की इस कविता में "बेचारी लड़की" का कितना दर्द समाया है.. और यह दर्द सच है .. ऐसा होता है... एक बेहद सशक्त यथार्तवादी कविता को आपने वो बोल दिए जो हम हिंदी भाषियों को समझ आये ..आपका आभार ..सादर

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  5. bechari ladaki ke bahane har ladaki ke komal jajbat...sunder rachna sunder anuvad....

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  6. माईआ की अब तक पढ़ी सबसे बेहतरीन कविता...

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  7. सुंदर कविता !

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  8. This is such a moving pem that i cant express my sadness after reading it.thax a lot manoj ji,

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