कवि, उपन्यासकार, पत्रकार क्लैरिबेल अलेग्रिआ, निकारागुआ में जन्म (1924), अल-सल्वाडोर में पली बढीं. 1943 में अमेरिका चली आईं. 1985 से अपने देश निकारागुआ में निवास. ढेरों पुरस्कार
कविता की कला : क्लैरिबेल अलेग्रिआ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं,
पेशे से एक कवि,
कई बार कलंकित
एक कौवा होने के लिए,
कभी नहीं अदला-बदली करने वाली
वीनस की जगह से :
जबकि वह राज करती है लूवर में
और ऊब से पस्त
फांक रही है धूल
मैं हर सुबह
खोज निकालती हूँ सूरज
और घाटियों
ज्वालामुखियों
और युद्ध के मलबे के बीच
पा जाती हूँ झलक
उस देश की
जिसका वायदा किया गया था.
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वीनस : सौन्दर्य की देवी जिसका मूर्ति शिल्प पेरिस के लूवर संग्रहालय में मौजूद है.
अनोज जी आप सिर्फ कविताये ही अनुदित करते है ? विश्व साहित्य की कहानिया नहीं ? कहानियों पर कोई लिंक या ब्लॉग हो तो कृपया अवश्य ही बताये --(फेसबुक पर )मेरी वाल पर शेयर कर देवे ...
ReplyDeleteachhi kavita.... frindship par kuchh khash kavita ki aasha thi...
ReplyDeletesheshnath....
सिर्फ एक कवि ही झलक पा सकता है उस देश की जिसका वादा किया गया था ................बहुत अच्छी कविता और अनुवाद तो सदा की तरह ! धन्यवाद !
ReplyDeleteजीवंत... बधाई और आभार...
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