आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट के खिलाफ पिछले दस सालों से अनशन कर रही मणिपुर की लौह महिला इरोम शर्मिला ने पिछले दिनों अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में साथ देने के निमंत्रण के जवाब में एक पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने अन्ना के आन्दोलन के प्रति एकता प्रदर्शित करने के साथ ही कुछ और महत्वपूर्ण बातें कही हैं. प्रस्तुत है उसी पत्र का अनुवाद...
इरोम शर्मिला की चिट्ठी
सम्मानीय अन्ना जी,
आपके द्वारा लड़ी जा रही भ्रष्टाचार विरोधी रैली में शिरकत करने के आपके निमंत्रण का मैं तहे दिल से स्वागत करती हूँ. मगर मैं अपनी वस्तुस्थिति के प्रति आपको आश्वस्त करना चाहूंगी, कि आपकी जैसी परिस्थिति के विपरीत, मैं एक लोकतांत्रिक देश के एक लोकतांत्रिक नागरिक की हैसियत से, यहाँ के सम्बद्ध अधिकारियों की मर्जी के खिलाफ न्याय के लिए अपने अहिंसात्मक विरोध के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकती. यह एक ऎसी समस्या है जिसे मैं समझ नहीं पाती.
इरोम शर्मिला की चिट्ठी
(अनुवाद : मनोज पटेल)
23 अगस्त 2011, मंगलवार
10:27ए एम, सेक्युरिटी वार्ड, जे.एन.हास्पिटल
मेरा विनम्र सुझाव है कि यदि आप सचमुच गंभीर हों तो कृपया सम्बद्ध विधायकों (पढ़ें अधिकारियों) से अपनी तरह मुझे भी आज़ाद करवाने के लिए बात करें ताकि मैं सभी बुराइयों की जड़ भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के आपके शानदार युद्ध में शामिल हो सकूँ. या आप चाहें तो मणिपुर आ सकते हैं जो दुनिया का सर्वाधिक भ्रष्टाचार-पीड़ित क्षेत्र है.
पूरी एकता और पूरी शुभकामना के साथ,
इरोम शर्मिला
(बरगद.आर्ग से साभार)
कुछ तो बोलो अन्ना !!
ReplyDeleteमैंने पूछा प्रश्न तो, साध गए वे मौन।
ReplyDeleteलोकपाल कल दूध का, धुला बनेगा कौन?
अन्ना और उन जैसे बहुत से एक्टिविस्टों के लिए मुख्य धारा की समस्याओं से बाहर कोई समस्या नही .... . वे हाशियों मे रहने वालों के बारे सोचने की ज़रूरत नही समझते.
ReplyDeleteयह इरोम की ज़िन्दा दिली ही है कि *पूरी एकता और पूरी शुभकामनाओं* के साथ यह् पत्र उस ने लिखा
मणिपुर की इस वीर महिला इरोम शर्मिला को नमन !
ReplyDeleteअन्ना का जवाब - भारत माता की जय, मैं अन्ना हूँ.....
ReplyDeleteअन्ना के पास कहने के लिए और है भी क्या ?
Deleteनासमझ लोगों को समझाया जा सकता है, लेकिन जिसने समस्या से जानते-बूझते आंखें मूंद रखी हों उससे अल्लाह मियां भी नहीं समझा सकते...
ReplyDeleteअन्ना और उनके समर्थकों को भी इरोम शर्मिला, पूर्वोत्तर में सैनिक शासन, दमन-उत्पीड़न से कोई मतलब नहीं।
इस चिट्टी का अनुवाद उपलब्ध कराने के लिए शुक्रिया।
....चिट्ठी आई है !!!!!!
ReplyDelete....चिट्ठिया हो तो हर कोई बाँचे !!!!!!
भारत के इतिहास में अपने बेमिसाल फौलादी इरादों से अडिग और संघर्ष की नई किवंदंति बनने वाली वीरांगना को सादर प्रणाम | हम लड़ेंगे कि अब तक लडें क्यों नहीं?जंगजू हैं तो जंग में खड़े क्यूँ नहीं?
ReplyDeleteशैलेंद्र की पंक्तियां याद आ रही है - 'चिट्ठियां हो तो हर कोई बांचे भाग न बांचे कोई...'
ReplyDeleteएक आदमी (अण्णा हजारे) 12 दिन के अनशन से ही सरकार को हिला जाता है और एक औरत (इरोम शर्मिला) 11 साल के अनशन के बावजूद सरकार का ध्यान खिंच पाने में असमर्थ है... समझ में नहीं आता कि आखिर गलती कहाँ हुई... चौखंभा के अहम में मीडिया आखिर किसके इशारे पर धमाचौकड़ी (सही शब्दों में कहूँ तो 'कोहराम') मचा रहा है... क्या मणिपुर की समस्याएं हमारी अपनी समस्याएं नहीं है... तब तो ओर रोना आता है जब अव्वल दर्जे के बेईमान भ्रष्टाचार के नाम पर मगरमच्छी आँसूं टपकाते नजर आते है... इरोम शर्मिला के फौलादी जज्बे को सलाम...
अन्ना को और हम सब को इरोम शर्मिला की इस चिट्ठी पर जरूर गौर करना चाहिए।
ReplyDeleteirom sharmila ke tyag ko naman par jo maang wo kar rahi hai wo deshhit mein nahi hai
ReplyDelete