Sunday, August 14, 2011

अडोनिस : कोई और वर्णमाला


पेन अमेरिकन सेंटर ने 2011 के पेन साहित्यिक पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. गद्य के अनुवाद के लिए यह पुरस्कार इस बार इब्राहिम मुहावी को महमूद दरवेश की किताब 'जर्नल आफ ऐन आर्डिनरी ग्रीफ' के अनुवाद के लिए दिए जाने की घोषणा की गई है. इस किताब के एक छोटे से अंश का अनुवाद आप इस ब्लॉग पर यहाँ देख सकते हैं. इसी तरह कविता के अनुवाद के लिए यह पुरस्कार खालिद मत्तावा को, अडोनिस की चुनिन्दा कविताओं के अनुवाद की किताब 'अडोनिस : सेलेक्टेड पोयम्स' के लिए दिए जाने की घोषणा की गई है. इस किताब से भी अडोनिस की बहुत सी कविताओं के अनुवाद आप इस ब्लॉग पर पढ़ चुके हैं. दोनों अनुवादकों को बधाई के साथ पेश है अडोनिस की एक और कविता...  


खंडहर : अडोनिस 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

जब बेरुत खून और राख से बैसाखियाँ बनाकर उनके सहारे लंगड़ा कर चल रहा होता है, चाँद अपने आईने खंडहरों पर पटक कर चूर-चूर कर देता है. 

सचमुच, आसमान के पैरों में बेड़ियाँ हैं और सितारों की कमर में खंजर बंधे हुए हैं. 

जो उसे दिख रहा है उसपर अविश्वास जताते हुए, समय आँखें मल रहा है. 

रो लो बेरुत, क्षितिज के दामन से अपने आंसू पोंछ लो. तुमने फिर से आसमान पर लिखा मगर तुम गलत थे, और अब तुम्हारी गलतियां तुम्हें लिख रही हैं. 

क्या तुम्हारे पास कोई और वर्णमाला है ? 
                                                :: :: :: 

2 comments:

  1. बहुत अच्छी कविता यह भी ओदोनिस की ! सुन्दर अनुवाद !

    ' हम नई वर्णमालाएँ ढूँढते हैं ,
    उनके बार -बार गलत हो जाने के बा -वजूद
    यह हमारी जिद है कि हम लिख सकें
    ओ ज़िंदगी तुझे
    एक दिन सही ढंग से !'

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...