Thursday, August 18, 2011

कौन हराएगा किसको


मिस्र के कवि अहमद फौद नग्म अपनी क्रांतिकारी कविताओं के लिए जाने आते हैं. अपने राजनीतिक विचारों और राष्ट्रपति अनवर सादात एवं हुस्नी मुबारक की तीखी आलोचना के लिए वे कई बार जेल जा चुके हैं. मिस्र के वंचित वर्ग के बीच उन्हें जननायक सा दर्जा प्राप्त है. पेश है उनकी यह कविता...
 












वे कौन हैं और हम कौन : अहमद फौद नग्म 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

वे कौन हैं और हम कौन ?
वे शहजादे हैं और बादशाह 
दौलत और सत्ता है उनके पास 
हम गरीब और वंचित 
अपना दिमाग लगाओ.. सोचो 
सोचो, कौन कर रहा है किस पर हुकूमत ?

वे कौन हैं और हम कौन ?
हम दस्तकार हैं और मजदूर 
अल-सुन्ना और अल-फर्द 
हम आम जनता हैं, लम्बे और चौड़े 
हमारे दम से अन्न उगलती है धरती 
और हमारे पसीने से हरे-भरे होते हैं खेत.
अपना दिमाग लगाओ... सोचो 
सोचो, कौन करता है किसकी चाकरी ?

वे कौन हैं और हम कौन ?
वे शहजादे हैं और बादशाह 
वे बड़ी-बड़ी हवेलियाँ और कार 
और उनकी खूबसूरत औरतें 
उपभोक्तावादी जानवर 
केवल अपना पेट भरना है उनका काम 
अपना दिमाग लगाओ... सोचो 
सोचो, कौन खा रहा है किसको ?

वे कौन हैं और हम कौन ?
हम जंग हैं, उसके पत्थर और आग 
हम फौज हैं आज़ाद करा रहे अपने वतन को 
हम शहीद हैं 
जीतने या हारने वाले 
अपना दिमाग लगाओ... सोचो 
सोचो, कौन क़त्ल कर रहा है किसको ? 

वे कौन हैं और हम कौन ?
वे शहजादे हैं और बादशाह 
नए ढंग के कपड़े पहनने वाले 
जबकि हम सात-सात लोग रह रहे एक ही कमरे में 
वे शानदार दावतें उड़ाने वाले 
जबकि हमें नसीब होता है रूखा-सूखा 
वे घूमने वाले निजी हवाई जहाज़ों से 
हम धक्के खाने वाले बस में 
शानदार और फूलों से भरी है उनकी ज़िंदगी 
वे एक नस्ल के; हम दूसरी 
अपना दिमाग लगाओ... सोचो 
सोचो,
कौन हराएगा किसको ? 
                    :: :: :: 

2 comments:

  1. सोचो दिमाग लगाओ... आज भारत की जनता भी सोचने पर मजबूर हो गयी है आखिर कौन है जो देश चलाएगा... वे या हम ? बहुत प्रभावशाली रचना...

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  2. बहुत सामयिक अनुवाद ...हार्दिक बधाई आपको !

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