येहूदा आमिखाई की कविता...
एक असीम शान्ति : सवाल और जवाब : येहूदा आमिखाई
(अनुवाद : मनोज पटेल)
बहुत तकलीफदेह रूप से रोशन एक प्रेक्षागृह में
लोग बातें कर रहे थे
आजकल के इंसानों की ज़िंदगी में धर्म
और उसमें ईश्वर के स्थान के बारे में.
लोग उत्तेजित स्वर में बोल रहे थे
जैसा कि वे बोला करते हैं हवाईअड्डों पर.
मैं उन सबसे दूर चला आया :
"आपातकालीन द्वार" लिखा हुआ लोहे का दरवाजा खोला
और दाखिल हो गया
एक असीम शान्ति : सवाल और जवाब के भीतर.
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