नाओमी शिहाब न्ये की कविता...
प्याज का सफ़र : नाओमी शिहाब न्ये
(अनुवाद : मनोज पटेल)
"ऐसा माना जाता है कि प्याज मूल रूप से हिन्दुस्तान से आई. मिस्र में इसकी पूजा की जाती थी - ऐसा क्यों था यह मुझे पता नहीं चल पाया. मिस्र से प्याज यूनान और इटली पहुंची. फिर वहां से पूरे यूरोप में."
- बेटर लिविंग कुकबुक
जब मैं सोचती हूँ कि कितना लंबा सफ़र तय किया है प्याज ने
सिर्फ आज मेरे स्ट्यू में शामिल होने के लिए,
झुक कर तारीफ़ करने का मन होता है
भुला दिए जाने वाले ऐसे छोटे-छोटे करिश्मों की,
चटचटा कर उतरना पतले से कागजी छिलके का,
भीतर एक चिकनी तालमेल में मोतियों सी परतें,
कैसे उतरता है चाकू प्याज में
और खुल जाती है प्याज
एक इतिहास जाहिर करती हुई.
और मैं प्याज को कभी दोष नहीं दूंगी
आंसू निकालने के लिए.
यह तो ठीक ही है कि आंसू निकल आएं
किसी छोटी और भूली-बिसरी चीज के लिए.
खाना खाते समय हम कैसे बैठकर
बातें करते हैं मांस की बनावट और मसालों की खुशबू की
मगर कभी बात नहीं करते अब बँट और बिखर चुकी
प्याज की पारभासकता पर,
या जमाने पुराने इसके इज्जतदार पेशे पर :
खुद को गायब कर लेना
दूसरों के भले के लिए.
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Manoj Patel Translations
'खुद को गायब कर लेना, दूसरों के भले के लिए"- प्याज का बहुत खूब पर्सोनिफिकेशन है।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से प्याज की विवेचना की है..
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