Saturday, September 3, 2011

येहूदा आमिखाई : मेरी वसीयत ढंकी है ढेर सारे पैबन्दों से

येहूदा आमिखाई की एक और कविता पढ़ते हैं...



मुझसे पहले की सारी पीढ़ियाँ : येहूदा आमिखाई 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

मुझसे पहले की सारी पीढ़ियों ने
थोड़ा-थोड़ा दान दिया है मुझे 
ताकि यहाँ येरुशलम में 
मैं एकबारगी बना कर खड़ा कर दिया जाऊं,
किसी इबादतगाह 
या खैराती संस्था की तरह. 
यह बाँध लेता है. मेरा नाम 
मेरे दानदाताओं का नाम है.
यह बाँध लेता है.

मैं अपने पिता की मौत की उम्र 
में पहुँचने वाला हूँ. 
मेरी आखिरी वसीयत ढंकी है
ढेर सारे पैबन्दों से. 
मुझे हर दिन बदलनी है 
अपनी ज़िंदगी और मौत 
अपने बारे में की गई 
सारी भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए.
ताकि झूठी न साबित हों वे.
वे बाँध लेती हैं. 

चालीस की उम्र पार कर गया हूँ मैं.
बहुत से काम नहीं कर पाता अब 
इसी वजह से. 
यदि मैं आश्चविट्ज में होता  
तो वे काम पर बाहर भेजने की बजाय 
सीधे-सीधे गैस चैंबर में भेज देते मुझे.
यह बाँध लेता है. 
                    :: :: :: 
Yehuda Amichai in Hindi Translation, Manoj Patel

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