येहूदा आमिखाई की एक और कविता...
वे सभी पासे हैं : येहूदा आमिखाई
(अनुवाद : मनोज पटेल)
बड़े प्यार से खड़े हैं लोग
गिरे हुए बैरियर के बगल.
उन सभी के दिमाग में है एक ही ख़याल,
किसी हड्डी की तरह चूस के साफ़ किया हुआ.
अपने छोटे से बूथ से,
लाटरी वाली औरत झांकती है देखने के लिए.
एक नहीं सी रेल गुजरती है,
नहीं से अपेक्षित लोग आते हैं.
बाद में, बड़े प्यार से,
लोग बिखर जाते हैं.
बाल खोले और आँखें
कसकर बंद किए हुए सोते हैं वे :
वे सभी पासे हैं
किस्मतवाली करवट पड़े हुए.
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