येहूदा आमिखाई...
एक छोटा सा पार्क : येहूदा आमिखाई
(अनुवाद : मनोज पटेल)
युद्ध में मारे गए एक बच्चे की स्मृति में
कायम किया गया एक छोटा सा पार्क
बिल्कुल उस बच्चे की तरह लगने लगा है
जैसा कि वह दिखता था उन्तीस साल पहले.
साल दर साल वे और ज्यादा एक जैसे दिखते गए हैं.
उसके बूढ़े माँ बाप तकरीबन रोज आते हैं
एक बेंच पर बैठकर
उसे देखने के लिए.
और हर रात बाग़ में स्मृति
गनगनाती है किसी छोटी मोटर की तरह :
दिन के वक़्त आप इसे नहीं सुन सकते.
:: :: ::
bahut marmik..
ReplyDeleteस्मृतियाँ ... बहुत मार्मिक चित्रण
ReplyDeletebahut hi samvedanshil likha hai .man me utarti kavita
ReplyDeleterachana
dil ko chhune vaali abhivayakti..
ReplyDelete