अडोनिस की एक और कविता...
पतझड़ की लाश के लिए एक आईना : अडोनिस
(अनुवाद : मनोज पटेल)
क्या तुमने देखी है कोई औरत
जो लिए रहती हो पतझड़ की लाश,
अपने चेहरे को फुटपाथ के साथ मिलाकर
बारिश की लड़ियों से बुनती हो
अपनी पोशाक,
जबकि लोग
बुझे हुए अंगारे होते हों
फुटपाथ की राख में ?
:: :: ::
uff ..kya hi achchi kavita hai
ReplyDeleteजबकि लोग बुझे हुए अंगारे होते हों ...........
ReplyDelete........क्या रह जाता है उस औरत के लिए
सिवा पतझड़ की लाश
और अपनी पोशाक बनाने के लिए
बारिश की लड़ियाँ !
दर्दनाक त्रासदी !......................बहुत अच्छी कविता !