Sunday, November 28, 2010

शेख़ चिल्ली और कुत्ते

पाकिस्तान से एक लोक कथा

जनाब शेखचिल्ली दुनिया में सिर्फ दो चीजों से डरते थे. घर में अपनी बीवी से और बाहर कुत्तों से. सो वह घर में बीवी और बाहर कुत्तों से ज़रा बचकर ही रहते. गोकि उन्होंने भी सुन रखा था कि भौंकने वाले कुत्ते काटते नहीं, लेकिन इस अफवाह पर उन्हें यकीन नहीं था. उन्हें यह भी लगता था कि क्या पता इस अफवाह से कुत्ते वाकिफ भी हैं या नहीं सो वह ऐसा ख़तरा उठाने की कभी सोचते भी नहीं थे. 

गाँव के कुत्तों को भी उनमें कोई रूचि नहीं रह गई थी. उनकी कद-काठी, पहनावा और शक्ल कुत्तों को ज़रा भी पसंद नहीं थी. शेख़ चिल्ली दुबले-पतले और नाटे तो थे ही उनका चश्मा अजीब ढंग से उनकी नाक पर टिका रहता था.  

एक दिन की बात शेख़ चिल्ली अपने चचा जान से मिलने के लिए बगल के गाँव में जा रहे थे. उस गाँव के अजनबी कुत्तों ने ऎसी अजीब शक्ल-सूरत वाला इंसान पहले कभी नहीं देखा था. आज जब पहले-पहल उन्हें ऐसा मौक़ा नसीब हुआ तो वे जोर-जोर से भौंकने लगे. वे इस अजीब इंसान का पीछा छोड़ने को तैयार न थे. जहां भी शेख़ चिल्ली जाते कुत्ते भी पीछे-पीछे भौंकते हुए लगे रहते.

शेख़ चिल्ली ने कुत्तों को पीछा करते देख अपनी चाल बढ़ा दी. लेकिन वह जितना तेज चलते कुत्ते उतनी ही जोर से भौंकते. 

आखिरकार शेख़ चिल्ली के सब्र का बाँध टूट गया. उन्हें लगा कि ये बदमाश कुत्ते ऐसे नहीं मानने वाले, कुछ करना ही पड़ेगा. उन्होंने किसी हथियार की तलाश में इधर-उधर नजर फिराई. बगल में ही एक ईंट पड़ी थी. वह झुक कर उसे उठाने लगे. लेकिन ईंट हिल भी नहीं रही थी, वह तो जमीन में गड़ी थी. पूरी ताकत लगा देने के बाद भी शेख़ चिल्ली उसे उठाने में कामयाब नहीं हुए. वे नाराज़ हो गए और गुस्से से भरकर गाँव वालों को गालियाँ देने लगे.

एक गाँव वाला उधर से गुजर रहा था. उसने शेख़ चिल्ली से उनकी नाराजगी का सबब पूछा.

" बड़ा अजीब गाँव है तुम्हारा." शेख़ चिल्ली गुस्से में ही चिल्लाए, " यह भी कोई तरीका है. तुम लोग कुत्तों को खुला रखते हो और ईंटों को बांध कर." 

( नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित "आओ, हँसे एक साथ" से साभार, अनुवाद मोहिनी राव का ) 
Shekh Chilli

5 comments:

  1. पुत्तर , घर की बात्तां बाहर तो मति बता ।

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  2. अच्छी लगी कहानी , शेख़चिल्ली की बात पर कमेंट भी वैसा होना चाहिए । चिठ्ठाजगत पर शीर्षक देखा और यह समझा कि यह कहानी शायद वह साहब सुना रहे हैं जो खुद को शेख़चिल्ली का बाप कहते हैं लेकिन यहां तो शेखचिल्ली के चाहने वाले और भी बहुत हैं ।

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  3. दिल की बात तो यह है कि आपकी पोस्ट भी अच्छी है आपका ब्लाग भी अच्छा है इससे पता चलता है कि आप भी अच्छे हैं ।
    मैं अच्छाई को Follow करता हूँ इसलिए आपके ब्लाग का Follower भी बन गया हूँ । आज तक मैंने कुल 2 ब्लाग Follow किए हैं । आपका तीसरा है ।
    शुभकामनाएँ

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  4. बहुत अच्छा लगा....

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  5. आपकी रचना/कहानी बहुत अच्छी लगी .. आपकी रचना आज दिनाक ३ दिसंबर को चर्चामंच पर रखी गयी है ... http://charchamanch.blogspot.com

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