Monday, September 26, 2011

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है

आज अफ़ज़ाल साहब का जन्मदिन है. इस मौके पर पढ़ते हैं उनकी दो कविताएँ... 













अफ़ज़ाल अहमद सैयद की दो कविताएँ 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)

मुझे एक कासनी फूल पसंद था 

मुझे एक कासनी फूल पसंद था. इससे मेरा इशारा उस लड़की की तरफ है जिसे मैनें चाहा. मैं उसका नाम भी ले सकता हूँ लेकिन दुनिया बहुत गुंजान आबाद है. वह मुझे जुड़वा पुलों पर मिली थी, जो मेरे घर से दूर एक झील पर बेख्याली में साथ-साथ बना दिए गए थे. हम एक पुल पर साथ चलते और कभी अलग-अलग पुलों पर एक-दूसरे के हाथ थामते. मैनें अपनी पहली मजदूरी से कीलें खरीदीं और पुल के उखड़े हुए तख्तों को जोड़ने के दरमियान उसकी आँखों के लिए एक शेर बनाते हुए एक कील को अपनी हथेली पर उतारा, और मालूम किया कि मैं लकड़ी का बना हुआ नहीं हूँ. शायद वह पुल किसी खानाजंगी में जला दिया गया हो. मैं ज़िंदगी भर फिर किसी पुल के लिए कीलें नहीं खरीद सका.  
                                                
गुंजान आबाद : घनी बसी 
खानाजंगी      : गृहयुद्ध 
                                        :: :: :: 


अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है 

अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है
इसमें एक बाज़गश्त शामिल कर लो 
पुरानी दास्तानों की बाज़गश्त 

और उसमें 
एक शाहज़ादी
और शाहज़ादी में अपनी ख़ूबसूरती 

और अपनी ख़ूबसूरती में 
एक चाहने वाले का दिल 

और चाहने वाले के दिल में 
एक ख़ंजर 

बाज़गश्त : वापसी, गूँज 
                                        :: :: :: 

AFZAL AHMED SYED - افضال احمد سيد MANOJ PATEL TRANSLATIONS 

3 comments:

  1. "और अपनी खूबसूरती में / एक चाहने वाले का दिल "...!!

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  2. दिल को छू लिया ......सर ...बहुत खूब ......

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