आपको यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि प्रसिद्द फिलिस्तीनी कवि ताहा मुहम्मद अली का निधन हो गया है. उनका जन्म 27 जुलाई 1931 को गलिली क्षेत्र के सफ्फूरिया नामक गाँव में हुआ था और मृत्यु परसों यानी 2 अक्टूबर 2011 को नज़ारेथ, इजराइल में हुई. 1948 के अरब-इजराइल युद्ध के दौरान इजराइली सेना द्वारा की गई बमबारी में पूरा गाँव नष्ट होने के बाद उनका परिवार लेबनान चला गया था और उसके एक साल बाद ही वे वापस इजराइल आ तो गए मगर उन्हें नज़ारेथ में बसना पड़ा. तब से वे नज़ारेथ में ही रह रहे थे और वहां के एक गिरजाघर के पास अपने बेटों के सहयोग से एक सूव्निर शाप (Souvenir Shop) चलाते थे.
ताहा मुहम्मद अली के अनुवादक गैब्रिएल लेविन के मुताबिक़ वे अपने जन्मस्थान को कभी भूल नहीं पाए. एक बार वे लेविन को नज़ारेथ से केवल पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपना गाँव दिखाने ले गए, जिसका कि अब नाम भी बदल चुका है. लेविन ने लिखा है कि उन्होंने कार की खिड़की से उन्हें वह जगह दिखाई जहां उनका घर हुआ करता था. उनकी कविताओं में विस्थापन की यही पीड़ा बार-बार अभिव्यक्त होती है. कविताओं के अलावा उन्होंने कहानियां भी लिखीं और अक्सर अपने कविता पाठ की शुरूआत वे किसी कहानी के साथ किया करते. उनके मुताबिक़ यह फिल्म शुरू होने के पहले दिखाए जाने वाले ट्रेलर की तरह ही था. लेविन ने 1997 में येरुशलम के एक कविता पाठ में सुनाई गई एक कहानी का जिक्र किया है. यह कहानी इस तरह थी -
1941 का कोई दिन था जब मुहम्मद अली की माँ ने घर में एक चूहा देखा. उन्होंने अपने बेटे को कुछ पैसे दिए और सफ्फूरिया के स्थानीय दुकानदार से चूहेदानी खरीद लाने के लिए कहा. मुहम्मद अली चूहेदानी खरीदकर ले आए जो कि दुकानदार के मुताबिक़ बहुत दुर्लभ थी और सिर्फ हेब्रान में बना करती थी. ठीक पांच बजे उन्होंने चूहेदानी का दरवाज़ा खट से बंद होने की आवाज़ सुनी. "फिर मैनें देखा" कवि ने बताया "हरी आँखों और रुई की तरह सफ़ेद पेट वाला सबसे सुन्दर चूहा." पचास साल बाद कवि की पत्नी ने नज़ारेथ के अपने किचन में एक चूहा देखा तो ताहा से एक चूहेदानी ले आने के लिए कहा. मुहम्मद अली जब नज़ारेथ की बाज़ार में गए तो उन्हें बताया गया कि उस तरह की चूहेदानियां अब नहीं बनतीं. हालांकि किसी ने यह सुन रखा था कि हेब्रान में वे अब भी बनाई जाती हैं जो कि अब पश्चिमी किनारे का हिस्सा हो चुका था. एक सप्ताह बाद कुछ यूं हुआ कि कवि को हेब्रान स्पोर्ट्स क्लब में अपनी कविताएँ सुनाने का अवसर मिला. कविता पाठ के बाद भोजन करते हुए उन्होंने अपने नए मित्रों से पूछा, "क्या हेब्रान में कोई पुराने ढंग की चूहेदानियां बेचता है ?" एक नवयुवक ने बताया कि वह एक जगह जानता था जहां वैसी चूहेदानियां खरीदी जा सकती हैं. वह मुहम्मद अली को उस दूकान पर ले गया जहां उन्होंने ठीक वैसी ही चूहेदानी देखी जैसी कि उन्होंने बचपन में खरीदी थी. "क्या यह चूहेदानियां तुमने बनाई हैं ?" उन्होंने दूकान के मालिक से पूछा. "नहीं" उसने जवाब दिया, "इन्हें मेरे अब्बा जियाब अल-शन्तावी ने बनाया है." कहानी सुनाते हुए मुहम्मद अली यहाँ आकर ठिठक गए और येरुशलम के श्रोताओं को उन्होंने बताया, "यह सफ्फूरिया के उसी दुकानदार का नाम था." और इस तरह वे एक नई-पुरानी चूहेदानी के साथ वापस घर पहुंचे और अगले दिन ठीक पांच बजे उन्होंने खट से चूहेदानी बंद होने की आवाज़ सुनी और एक बार फिर उन्होंने देखा "वही हरी आँखों और रुई की तरह सफ़ेद पेट वाला सबसे सुन्दर चूहा..."
टहनियां : ताहा मुहम्मद अली
(अनुवाद : मनोज पटेल)
न तो प्रसिद्धि या पैसा,
यहाँ तक कि कविता भी
आश्वासन नहीं दे सकती
जीवन की लघुता के प्रति,
या इस तथ्य के प्रति कि किंग लियर
महज अस्सी पृष्ठों का है और ख़त्म हो जाता है,
और इस विचार के प्रति भी कि
आपको बहुत तकलीफ सहनी पड़ सकती है
एक बाग़ी बच्चा होने की वजह से.
* * *
तुम्हारे प्रति
मेरा प्यार असाधारण है,
मगर शायद
मैं, तुम और दूसरे लोग
साधारण हैं.
* * *
कविता से परे चली जाती है
मेरी कविता
क्योंकि
तुम्हारा अस्तित्व है
स्त्रियों के संसार से बाहर.
* * *
और इस तरह
पूरे साठ साल लग गए
मुझे
यह समझने में कि
सबसे अच्छा पेय है पानी
और रोटी है सबसे स्वादिष्ट आहार,
और बेकार है कला
यदि वह न रोपती हो
लोगों के दिलों में उजास का कोई उपाय.
* * *
जब हम मर जाते हैं
और थका हुआ दिल
गिरा लेता है अपनी आखिरी पलकें
हमारे किए सारे कामों पर,
हमारी सारी चाहतों
और हमारे सारे ख़्वाबों पर,
हमारी सारी इच्छाओं
और भावनाओं में से
नफरत ही
सबसे पहले सड़ती है
हमारे भीतर.
1989 - 91
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अली जी को विनम्र श्रद्धांजलि . उनको पढ़कर एक अलग जहाँ का पता चला. आपका आभार.
ReplyDeleteअली जी को विनम्र श्रद्धांजलि . उनको पढ़कर एक अलग जहाँ का पता चला. आपका आभार.
ReplyDeleteअली से परिचय कराने के लिए आपका आभार मनोज जी !उन्हें अंतिम प्रणाम ! एक कवि का जाना पूरी मनुष्यता की क्षति है !
ReplyDeletebahut sundar kavitayen hain. bejod
ReplyDeletesadar shradhanjali aur kavitaon ke liye apka
ReplyDeleteabhar.
"अली जी " को स्रधांजलि एवं मानव जीवन के अंतिम सत्य वाली इस कविता के अनुबाद हेतु आपको धन्यवाद ......
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