Wednesday, October 5, 2011

एथलबर्ट मिलर : जब मैनें पहली बार सुनी बम की आवाज़

एथलबर्ट मिलर की कविता...











शीर्षकहीन : एथलबर्ट मिलर 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

जब मैनें पहली बार सुनी बम की आवाज़ 
मुझे लगा कि हिल रही है धरती 
धमाके से टूट गए बड़े-बड़े जार 
और वह दड़बा 
जिसमें माँ ने मुर्गियां पाल रखी थीं 
मैं बहुत डर गया था.

शुरूआती दिनों में 
ज्यादा प्रतिरोध नहीं था 
और पहाड़ियों पर बहुत नीचे तक 
उड़ा करते थे हवाई जहाज 

मेरे पिता मारे गए थे 
जब मैं तकरीबन दस साल का था 
मुझे अभी तक याद है वह साल जब हमने उन्हें दफनाया था 
वह पूरा साल ही था मौत का. 

आप अब भी पा सकते हैं हड्डियां
खेतों में उगती हुईं. 
                    :: :: :: 
Manoj Patel Translations, Manoj Patel Blog 

5 comments:

  1. वाकई मनोज जी यह कविता तारीफ के काबिल है और आप ने इस कविता को बहुत ही उच्च स्तरीय अनुवाद में ढाला है ..ऐसी यथार्थवादी कवितायें हमारा दिशा निर्देश करने की क्षमता रखती हैं ..इसके लिए हम सभी आप के शुक्रगुजार हैं

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  2. युद्ध की विभीषिका को दिखाती एक असरदार रचना ! सुन्दर और स्वाभाविक अनुवाद ! बधाई मनोज जी !

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  3. अदभुत अनुवाद और उतनी ही अच्छी कविता है मनोजजी। बधाई।

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  4. बधाई के पात्र हैं, दर्द की बेहतरीन अभिव्यक्ति

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