Thursday, October 6, 2011

एथलबर्ट मिलर की दो कविताएँ

एथलबर्ट मिलर की दो कविताएँ... 














एथलबर्ट मिलर की दो कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

तीनों का व्यक्तिचित्र 

कभी-कभी 
सिर्फ हम तीनों ही 
साथ होते हैं

मैं
तुम, और 
तुम्हारी सायकिल 

कभी-कभी 
जलन होती है मुझे 
कि कैसे 
घूमते और चक्कर खाते हैं पहिए 

कैसे तुम्हारे हाथ 
थामते हैं हैंडल 
जब तुम जा रही होती हो 
                    :: :: :: 

भूगोल 

मेरी चार साल की बेटी दुनिया के एक नक़्शे के साथ स्कूल से घर लौटती है. यह अफ्रीका है, वह मुझे बताती है. हम यहीं से आए हैं. डैडी, आप देखते रहिएगा, मैं बाक़ी की दुनिया को रंगने जा रही हूँ. मैं उसे यूरोप और पूरा अटलांटिक लाल रंग से रंगते हुए देखता हूँ. मैं उसे नीले और हरे रंगों के इस्तेमाल के लिए उकसाने की कोशिश करता हूँ लेकिन वह मना कर देती है. वह दुनिया को अपनी ही भूरी आँखों से देखती है. वह रंगना बंद कर देती है और नक़्शे पर सबसे ऊपर अपना नाम लिखती है. जास्मीन - वह किसी नन्हे कोलंबस की तरह कहती है. उसका मुंह आश्चर्य से गोल हो गया है. 
                                                     :: :: :: 
Manoj Patel Translations, Manoj Patel Blog

3 comments:

  1. सार्थक रचना....

    विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

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  2. अच्छी कवितायेँ ,मनोज जी !दूसरी कविता 'भूगोल' और भी अच्छी लगी !आभार !

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