एथलबर्ट मिलर की दो कविताएँ...
तीनों का व्यक्तिचित्र
भूगोल
एथलबर्ट मिलर की दो कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
कभी-कभी
सिर्फ हम तीनों ही
साथ होते हैं
मैं
तुम, और
तुम्हारी सायकिल
कभी-कभी
जलन होती है मुझे
कि कैसे
घूमते और चक्कर खाते हैं पहिए
कैसे तुम्हारे हाथ
थामते हैं हैंडल
जब तुम जा रही होती हो
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मेरी चार साल की बेटी दुनिया के एक नक़्शे के साथ स्कूल से घर लौटती है. यह अफ्रीका है, वह मुझे बताती है. हम यहीं से आए हैं. डैडी, आप देखते रहिएगा, मैं बाक़ी की दुनिया को रंगने जा रही हूँ. मैं उसे यूरोप और पूरा अटलांटिक लाल रंग से रंगते हुए देखता हूँ. मैं उसे नीले और हरे रंगों के इस्तेमाल के लिए उकसाने की कोशिश करता हूँ लेकिन वह मना कर देती है. वह दुनिया को अपनी ही भूरी आँखों से देखती है. वह रंगना बंद कर देती है और नक़्शे पर सबसे ऊपर अपना नाम लिखती है. जास्मीन - वह किसी नन्हे कोलंबस की तरह कहती है. उसका मुंह आश्चर्य से गोल हो गया है.
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सार्थक रचना....
ReplyDeleteविजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
अच्छी कवितायेँ ,मनोज जी !दूसरी कविता 'भूगोल' और भी अच्छी लगी !आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद मनोज जी
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