पढ़ते-पढ़ते के सभी मित्रों, शुभचिंतकों और पाठकों को दीपावली की शुभकामनाएं. इस अवसर पर आज रोक डाल्टन की यह कविता...
कविता से : रोक डाल्टन
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं तुम्हारा स्वागत करता हूँ कविता
बहुत शुक्रगुजार हूँ आज तुमसे मुलाक़ात के लिए
(ज़िंदगी और किताबों में)
तुम्हारा वजूद सिर्फ उदासी के चकाचौंध कर देने वाले
भव्य अलंकरण के लिए ही नहीं है
इसके अलावा हमारी जनता के इस लम्बे और कठिन संघर्ष के
काम में मेरी मदद करके
तुम आज मुझे बेहतर कर सकती हो
तुम अब अपने मूल में हो :
अब वह भड़कीला विकल्प नहीं रही तुम
जिसने मुझे अपनी ही जगह से काट दिया था
और तुम खूबसूरत होती जाती हो
कामरेड कविता
कड़ी धूप में जलती हुई सच्ची खूबसूरत बाहों के बीच
मेरे हाथों के बीच और मेरे कन्धों पर
तुम्हारी रोशनी मेरे आस-पास रहती है
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शुभकामनाएं--
ReplyDeleteरचो रँगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर, व्यापारी
नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
दो बच्चों का साथ, रचो मिल सभी रँगोली ||
वाह...!
ReplyDeleteशुभ दीपावली!
तुम्हारी "रोशनी"(अनुवाद की ) हमारे भी आस -पास हमेसा रहती है.....शुभ दीपावली आपको एवं पढ़ते -पढ़ते के सभी मित्रों को....!!
ReplyDeletebehad sundar... umda...happy dipawali
ReplyDeleteअद्वितीय.........एक तरह से कविता को उसकी सच्ची प्रासंगिकता से जोडती कविता ! बहुत बहुत आभार ! इस जश्न-ए-चरागाँ की बधाई !
ReplyDeleteडायटिंग और कैरियर के चक्कर में 'वात्सल्य रस' सूख के काँटा हुआ जाता है, 'करुणा' ने एकता कपूर के सीरियल निर्देशित करने शुरू कर दिए,श्रृंगार ने 'दिल्ली-कांड' वाले एम्. एम्. एस. के बाद आत्महत्या कर ली,वियोग दंगों में फ़ना हुआ,'वीर रस' वाली अफगानिस्तान का दौरा कर के आयी है,खिन्नचित्त है ! कविताओं का 'प्रेम रस' किसी गर्भनिरोधक-उत्पाद की टैग लाइन है अब.'वीभत्स रस' से जितनी कविता हो सकती थी,लिख दी गयी है.और इस तरह,कविता का सब कुछ लुट जाने के बाद एक दिन उसे ड्रग्स की लत लग गयी... पागल हो गयी... गालियाँ देने लगी... अपनी गेयता की सारी नजाकत और शिष्टता छोड़ दी.... अपने फ़ेलुन फ़ाईलुन के कपडे फाड़ डाले... अब सुना है वो,अलंकारों के सारे जेवर बेच के राजमा चावल खाती है... बीडी पीती है... एक अजीब से नाम वाले रस 'अवसाद' के साथ अनैतिक सम्बन्ध हैं उसके.....
ReplyDelete...लो,
...वो पगली फिर उम्मीद से है !