एर्नेस्तो कार्देनाल की 'सुभाषित' श्रृंखला से कुछ और कविताएँ...
एर्नेस्तो कार्देनाल की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
जब तुम होती हो न्यूयार्क में
न्यूयार्क में कोई और नहीं होता
और जब तुम नहीं होती हो न्यूयार्क में
न्यूयार्क में कोई भी नहीं होता
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अगर अप्रैल बगावत के दौरान
औरों के साथ मार दिया गया होता मैं भी
तो जान नहीं पाया होता तुम्हें :
और अगर अब हुई होती अप्रैल बगावत
मार ही दिया गया होता मैं औरों के साथ
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बारिश की भारी बूँदें जैसे
सीढ़ियाँ चढ़ रहे क़दमों की आहट
और दरवाजे से टकराती हवा
जैसे अन्दर आने वाली हो कोई स्त्री
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Manoj Patel Padhte Padhte अर्नेस्तो कार्देनाल
jab tum nahin hoti ho ....aur koi bhi nahi hota
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