मरम अल-मसरी की तीन कविताएँ...
मरम अल-मसरी की तीन कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मेरी गंध
घेर लेगी तुमको
और जब तुम उतारोगे अपने कपड़े
वह फैलती जाएगी
तुम पर इल्जाम लगाते हुए
बेवफाई का.
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जरूर तुम
भूल गए होगे कुछ कागजात
और लौट गए होगे
उन्हें ले आने के लिए.
या
तुम्हारे निकलने के वक़्त ही
कर दिया होगा फोन किसी दोस्त ने
और शुरू कर दी होगी बतकही.
या
तुम इंतज़ार कर रहे होगे मेरा
किसी और काफीघर में.
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मुझे लगा
वह तुम्हारे क़दमों की आवाज़ है
मेरे दिल में हो रही
जोरों की धुकधुकी.
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Manoj Patel Translation
" मुझे लगा
ReplyDeleteवह तुम्हारे कदमों की आवाज़ है
मेरे दिल में हो रही है
जोरों की धुकधुकी. "....!!!
@........इंतजार .........फिर....... क़दमों की आवाज .....अच्छा लगा ...
ReplyDeleteपहली वाली में नयापन है
ReplyDeletesabhi sundar hain pahli kavita bahut sundar
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