टॉमस ट्रांसट्रोमर की एक कविता...
हिमपात : टॉमस ट्रांसट्रोमर
(अनुवाद : मनोज पटेल)
आती रहती हैं अंत्येष्टियाँ
अधिकाधिक संख्या में
जैसे बढ़ती जाती है संख्या यातायात संकेतों की
ज्यों-ज्यों हम करीब पहुँचते जाते हैं किसी शहर के.
टकटकी लगाए हुए हजारों लोग
लम्बी परछाइयों के देश में.
धीरे-धीरे
एक पुल निर्माण करता है स्वयं का
सीधा अन्तरिक्ष में.
:: :: ::
Manoj Patel Translation, Manoj Patel Blog
currently reading 'Levande Svensk Poeisi'...; few verses of transtromer are also in this book.
ReplyDeletereading the poetries there and reading them here translated with their soul intact is an enriching experience!
यातायात संकेतों का अंत्येष्टियों और और शहर के क़रीब पहूंचने का रिश्ता अनूठा है. पहली बार यह रूपक सामने आया है. काफ़ी दिलचस्प ! चौंकाता भी है.
ReplyDeletebahut achhee kavita ka bahut sundar anuvad....dhanywad manoj ji
ReplyDeleteगहन उदासी से भरती हुई कविता
ReplyDelete