Monday, October 31, 2011

टॉमस ट्रांसट्रोमर : अन्तरिक्ष में पुल


टॉमस ट्रांसट्रोमर की एक कविता...










हिमपात  : टॉमस ट्रांसट्रोमर 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

आती रहती हैं अंत्येष्टियाँ 
अधिकाधिक संख्या में 
जैसे बढ़ती जाती है संख्या यातायात संकेतों की 
ज्यों-ज्यों हम करीब पहुँचते जाते हैं किसी शहर के.

टकटकी लगाए हुए हजारों लोग 
लम्बी परछाइयों के देश में.

धीरे-धीरे 
एक पुल निर्माण करता है स्वयं का 
सीधा अन्तरिक्ष में.
                    :: :: :: 
Manoj Patel Translation, Manoj Patel Blog 

4 comments:

  1. currently reading 'Levande Svensk Poeisi'...; few verses of transtromer are also in this book.
    reading the poetries there and reading them here translated with their soul intact is an enriching experience!

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  2. यातायात संकेतों का अंत्येष्टियों और और शहर के क़रीब पहूंचने का रिश्ता अनूठा है. पहली बार यह रूपक सामने आया है. काफ़ी दिलचस्प ! चौंकाता भी है.

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  3. bahut achhee kavita ka bahut sundar anuvad....dhanywad manoj ji

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  4. गहन उदासी से भरती हुई कविता

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