Monday, April 4, 2011

इतालो काल्विनो : एक बेमेल इंसान


चोरों के देश में एक ईमानदार आदमी रहने क्या आ गया पूरी व्यवस्था ही गड़बड़ा गयी. पढ़िए इतालो काल्विनो की यह बेहतरीन कहानी. उनकी और कहानियां आप यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं.
















एक बेमेल इंसान 

एक ऐसा देश था, जिसके सारे निवासी चोर थे.

रात में नकली चाभियों के गुच्छे और लालटेन के साथ सभी लोग अपने-अपने घर से निकलते और किसी पड़ोसी के घर में चोरी कर लेते. सुबह जब माल-मत्ते के साथ वे वापस आते तो पाते कि उनका भी घर लुट चुका है. 

तो इस तरह हर शख्स खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ रह रहा था, किसी का कोई नुकसान नहीं होता था क्योंकि हर इंसान दूसरे के घर चोरी करता था, और वह दूसरा किसी तीसरे के घर और यह सिलसिला चलता रहता था उस आखिरी शख्स तक जो कि पहले इंसान के घर सेंध मारता था. उस देश के व्यापार में अनिवार्य रूप से, खरीदने और बेचने वाले दोनों ही पक्षों की धोखाधड़ी शामिल होती थी. सरकार अपराधियों का एक संगठन थी जो अपने नागरिकों से हड़पने में लगी रहती थी, और नागरिकों की रूचि केवल इसी बात में रहती थी कि कैसे सरकार को चूना लगाया जाए. इस तरह ज़िंदगी सहज गति से चल रही थी, न तो कोई अमीर था न तो कोई गरीब.

एक दिन, यह तो हमें नहीं पता कि कैसे, कुछ ऐसा हुआ कि उस जगह पर एक ईमानदार आदमी रहने के लिए आ गया. रात में बोरा और लालटेन लेकर बाहर निकलने की बजाए वह घर में ही रुका रहा और सिगरेट पीते हुए उपन्यास पढ़ता रहा.  

चोर आए और बत्ती जलती देखकर अन्दर नहीं घुसे. 

ऐसा कुछ दिन चलता रहा : फिर उन्होंने उसे खुशी-खुशी यह समझाया कि भले ही वह बिना कुछ किए ही गुजर करना चाहता हो, लेकिन दूसरों को कुछ करने से रोकने का कोई तुक नहीं है. उसके हर रात घर पर बिताने का मतलब यह है कि अगले दिन किसी एक परिवार के पास खाने के लिए कुछ नहीं होगा. 

ईमानदारी आदमी बमुश्किल ही इस तर्क पर कोई ऐतराज कर सकता था. वह उन्हीं की तरह शाम को बाहर निकलने और अगली सुबह घर वापस आने के लिए राजी हो गया. लेकिन वह चोरी नहीं करता था. वह ईमानदार था, और इसके लिए आप उसका कुछ कर भी नहीं सकते थे. वह पुल तक जाता और नीचे पानी को बहता हुआ देखा करता. जब वह घर लौटता तो पाता कि वह लुट चुका है. 

हफ्ते भर के भीतर ईमानदारी आदमी ने पाया कि उसके पास एक भी पैसा नहीं बचा है, उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं है और उसका घर भी खाली हो चुका है. लेकिन यह कोई ख़ास समस्या न थी, क्योंकि यह तो उसी की गलती थी ; असल समस्या तो यह थी कि उसके इस बर्ताव से बाक़ी सारी चीजें गड़बड़ा गयी थीं. क्योंकि उसने दूसरों को तो अपना सारा माल-मत्ता चुरा लेने दिया था जबकि उसने किसी का कुछ नहीं चुराया था. इसलिए हमेशा कोई न कोई ऐसा शख्स होता था जो, जब सुबह घर लौटता तो पाता कि उसका घर सुरक्षित है : वह घर जिसमें उस ईमानदार आदमी को चोरी करना चाहिए था. कुछ समय के बाद उन लोगों ने जिनका घर सुरक्षित रह गया था अपने आप को दूसरों के मुकाबले कुछ अमीर पाया और उन्हें यह लगा कि अब उन्हें चोरी करने की जरूरत नहीं रह गयी है. मामले की गंभीरता और अधिक कुछ यूं बढ़ी कि जो लोग ईमानदार आदमी के घर में चोरी करने आते, उसे हमेशा खाली ही पाते ; इस तरह वे गरीब हो गए. 

इस बीच, उन लोगों में जो अमीर हो गए थे, ईमानदार आदमी की ही तरह रात में पुल पर जाने और नीचे बहते हुए पानी को देखने की आदत पड़ गयी. इससे गड़बड़ी और बढ़ गयी क्योंकि इसका मतलब यही था कि बहुत से और लोग अमीर हो गए हैं तथा बहुत से और लोग गरीब भी हो गए हैं.  

अब अमीरों को लगा कि अगर वे हर रात पुल पर जाना जारी रखेंगे तो वे जल्दी ही गरीब हो जाएंगे. तो उन लोगों को सूझा : 'चलो कुछ ग़रीबों को पैसे पर रख लिया जाए जो हमारे लिए चोरियां किया करें'. उन लोगों ने समझौते किए, तनख्वाहें और कमीशन तय किया : अब भी थे तो वे चोर ही, इसलिए अब भी उन्होंने एक-दूसरे को ठगने की कोशिश की. लेकिन, जैसा कि होता है, अमीर और भी अमीर होते गए जबकि गरीब और भी गरीब. 

कुछ अमीर लोग इतने अमीर हो गए कि उन्हें अमीर बने रहने के लिए चोरी करने या दूसरों से कराने की जरूरत नहीं रह गयी. लेकिन अगर वे चुराना बंद कर देते तो वे गरीब हो जाते क्योंकि गरीब तो उनसे चुराते ही रहते थे. इसलिए उनलोगों ने ग़रीबों में भी सबसे गरीब को अपनी जायदाद को दूसरे ग़रीबों से बचाने के लिए पैसे देकर रखना शुरू कर दिया, और इसका मतलब था पुलिस बल और कैदखानों की स्थापना. 

तो हुआ यह कि ईमानदार आदमी के प्रगट होने के कुछ ही साल बाद, लोगों ने चोरी करने या लुट जाने के बारे में बातें करना बंद कर दिया. अब वे सिर्फ अमीर और गरीब की बात किया करते थे ; लेकिन अब भी थे वे चोर ही. 

इकलौता ईमानदार आदमी वही शुरूआत वाला ही था, और वह थोड़े समय बाद ही भूख से मर गया था.    

(अनुवाद : मनोज पटेल) 
Italo Calvino stories in Hindi Translation 

17 comments:

  1. भारतीय नव वर्ष की आप को हार्दिक शुभकामनाये

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  2. शानदार कहानी... जिसके कई निहितार्थ और बिम्ब हैं!
    इसका अनुवाद करने के लिए धन्यवाद. यदि आपकी इज़ाज़त हो तो मैं इसे कुछ दिनों बाद अपने ब्लौग पर री-पोस्ट कर लूं? मैं पोस्ट के साथ आपका और आपके ब्लौग का ज़िक्र अवश्य करूंगा.

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  3. ek achchha satire ..कुछ अमीर लोग इतने अमीर हो गए कि उन्हें अमीर बने रहने के लिए चोरी करने या दूसरों से कराने की जरूरत नहीं रह गयी. लेकिन अगर वे चुराना बंद कर देते तो वे गरीब हो जाते क्योंकि गरीब तो उनसे चुराते ही रहते थे. इसलिए उनलोगों ने ग़रीबों में भी सबसे गरीब को अपनी जायदाद को दूसरे ग़रीबों से बचाने के लिए पैसे देकर रखना शुरू कर दिया, और इसका मतलब था पुलिस बल और कैदखानों की स्थापना.

    तो हुआ यह कि ईमानदार आदमी के प्रगट होने के कुछ ही साल बाद, लोगों ने चोरी करने या लुट जाने के बारे में बातें करना बंद कर दिया. अब वे सिर्फ अमीर और गरीब की बात किया करते थे ; लेकिन अब भी थे वे चोर ही.

    इकलौता ईमानदार आदमी वही शुरूआत वाला ही था, और वह थोड़े समय बाद ही भूख से मर गया था.

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  4. वाह ..........आज के परिपेक्ष्य में भी यथार्थ को छुती कहानी ...शब्द दर शब्द ...सब कुछ वही जो आज हम देख रहें है ...सुन्दर !!!!!!!!!!!!nIRMAL Paneri

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  5. शानदार व्यंग ...अदभूत कहानी .

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  6. shandar kahani kai parto me khulti hui.

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  7. Behad..acchi kahani.kuch wo sikhati hue...jo hum nhi jante...bina tripathi

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  8. मनोज जी यह कहानी भ्रष्टाचार के व्यवहार से बहुत निकटता रखती है.जैसे इस कहानी में चोरी का सिलसिला चलता है वैसे ही पूरी दुनिया में रिश्वत का सिलसिला चल रहा है.एक जगह हम किसी से रिश्वत लेते हैं दूसरी जगह हम किस को रिश्वत देते हैं अर्थात एक दुसरे को ही लुटने का सिलसिला चल रहा है.और आप खुद देख लीजिये की सरकार सचमुच अपराधियों का संगठन है.आप द्वारा बेहद प्रासंगिक कहानी का चुनाव किया गया.शुक्रिया.

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  9. मनोज जी ,पूरी कहानी पढते हुए लगा जैसे कोई Documentary film चल रही है !ख्वाजा नसीरुद्दीन कि याद दिला दी !...बेहतरीन कहानी का बहुत खूबसूरत अनुवाद...हमेशा कि तरह ..शुक्रिया :)

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  10. mazedar kahani Manoj bhai..ise dakhal ke agle ank ke liye de dijiye pleas...

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  11. bhartiy system ke liye ekdam satik kahani.manojji shukriya behtareen kaam karne ke liye.

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  12. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भ्रष्टाचार और धन का ध्रुवीकरण इस कथा से कितना समीप है. बहुत अच्छा

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  13. ईमानदार आदमी हमेशा भूख से ही मरता है।even कहानी में भी:-(

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  14. Manoj Bhai, this translation is posted below without giving any credit to you.

    http://forum4.aimoo.com/kavyalya/Hindi-Stories/Topic-1-536692.html

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  15. कहानी बहुत अच्‍छी है. नसीरुद्दीन शाह ने इसे अपने कथा कोलाज (एक पात्रीय नाट्य) में खेला है.

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