Monday, October 31, 2011

मरम अल-मसरी : इल्जाम बेवफाई का

मरम अल-मसरी की तीन कविताएँ...









मरम अल-मसरी की तीन कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

मेरी गंध 
घेर लेगी तुमको 
और जब तुम उतारोगे अपने कपड़े 
वह फैलती जाएगी 
तुम पर इल्जाम लगाते हुए 
बेवफाई का.
:: :: :: 

जरूर तुम 
भूल गए होगे कुछ कागजात 
और लौट गए होगे 
उन्हें ले आने के लिए. 

या 
तुम्हारे निकलने के वक़्त ही  
कर दिया होगा फोन किसी दोस्त ने 
और शुरू कर दी होगी बतकही. 

या 
तुम इंतज़ार कर रहे होगे मेरा 
किसी और काफीघर में. 
:: :: :: 

मुझे लगा 
वह तुम्हारे क़दमों की आवाज़ है 
मेरे दिल में हो रही 
जोरों की धुकधुकी. 
:: :: :: 
Manoj Patel Translation 

4 comments:

  1. " मुझे लगा
    वह तुम्हारे कदमों की आवाज़ है
    मेरे दिल में हो रही है
    जोरों की धुकधुकी. "....!!!

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  2. @........इंतजार .........फिर....... क़दमों की आवाज .....अच्छा लगा ...

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  3. पहली वाली में नयापन है

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