Sunday, November 6, 2011

टॉमस ट्रांसट्रोमर : काले पोस्टकार्ड

टॉमस ट्रांसट्रोमर की एक और कविता...


काले पोस्टकार्ड : टॉमस ट्रांसट्रोमर 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

1
व्यस्तता से भरा हुआ कैलेण्डर, भविष्य अज्ञात. 
सन्देश गुनगुनाता हुआ एक बेवतन लोक गीत को. 
सीसे की तरह स्थिर समुद्र पर गिरती हुई बर्फ. गोदी पर 
                         कुश्ती लड़ती हुईं परछाईयाँ. 


ऐसा होता है ज़िंदगी के बीच में कभी कि मौत आती है 
इंसान के नाप लेने की खातिर. भुला दिया जाता है 
यह आगमन और चलती रहती है ज़िंदगी. 
                         मगर सूट सिल जाता है चुपचाप.   
                    :: :: :: 
तोमास त्रांसत्रोमर की कविताएँ 

6 comments:

  1. 'मगर सूट सिल जाता है चुपचाप' क्योंकि जिंदगी के बीच आजाती है मौत. कविता का सन्दर्भ इस सूट को सामान्य 'सूटों' से अलग किस्म का भी बना देता है.

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  2. ब्यस्तता से भरी जिंदगी, मौत आती है और उसके आगमन को भी भूल जाते हैं .......पर.. नाप का सूट अंत में मिल ही जाता है, क्या बात है ? जीवन की सत्यता इस कविता में झलक रही है ....बहुत खूब सर ......!!!

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  3. पहली कविता समझ में नहीं आई,कठिन है लेकिन दूसरी समझ में भी आई और अच्छी भी लगी ! आभार !

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  4. बहुत सुन्दर अनुवाद!

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