नोबेल पुरस्कार विजेता टॉमस ट्रांसट्रोमर की एक और कविता...
जमीन में से देखना : टॉमस ट्रांसट्रोमर
(अनुवाद : मनोज पटेल)
सफ़ेद सूरज पिघल रहा है धुंध में
टपक रही है रोशनी रास्ता बनाते हुए नीचे
जमीन में दबी मेरी आँखों की तरफ
जो शहर के नीचे से देख रही हैं ऊपर
नीचे से देखना शहर को : सड़कों और इमारतों की नींव को
जैसे युद्ध के दौरान किसी शहर का हवाई दृश्य
जैसे उल्टी तरफ से -- एक खुफिया तस्वीर
फीके रंगों की खामोश वर्गाकार आकृतियाँ
यहाँ लिए जाते हैं फैसले
और कोई फर्क नहीं कर पाता ज़िंदा और मुर्दा हड्डियों में
तेज हो जाती है सूरज की रोशनी और
भर जाती है हवाईजहाजों के काकपिट
और मटर की फलियों के भीतर.
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Manoj Patel तोमस त्रांसत्रोमर
आदरणीय मनोज जी
ReplyDeleteआपके द्वारा अनुदित कविताओं का मैं नियमित पाठक हूं. कभी टिप्पणी स्वरुप अपनी उपस्थिति दर्ज करा देता हूं कई बार नहीं कर पता... मैं स्वयं भी लिखता हूं... शायद आप ब्लॉग जगत में प्रचलित प्रति-टिप्पणी के चलन से दूर हैं इसलिए मेरे ब्लॉग पर नहीं आये अन्यथा मेर ब्लॉग और कविताओं से आपका भी परिचय रहता ...
.. मैं थोडा महत्वाकांक्षी किस्म का हूं... विज्ञापन जगत से सरकारी नौकरी में पहुच गया... फिर अपनी एक विज्ञापन एजेंसी बना ली.. अब प्रकाशन में आ गया हूं.. सफलता असफलता की फ़िक्र किये बगैर.... क्योंकि जब निवेश करने को कुछ नहीं हो.. और स्वयं को ही निवेश करना हो ... तो कहीं भी कर लीजिये.. सो प्रकाशन के क्षेत्र में आ गया हूं...
... अभी तक कोई पुस्तक बाज़ार में नहीं ला पाया हूं.. सब पाईपलाइन में हैं.... और विश्व पुस्तक मेले में एक स्टैंड भी बुक करा आया हूं.... इस बीच विचार आया है कि विश्व की श्रेष्ठ ५० प्रेम कवितायेँ... के नाम से कोई संकलन लाया जाये तो हो सकता है कि नई पीढी जो प्रेम के नाम पर सस्ते एस एम एस खरीदती है , उसे कुछ अच्छा पढने को मिल जाये... कुछ किताबे भी प्रेम के नाम पर बिक जाएँ....
मेरे प्रकाशन का वेब पता है.. www.jyotiparbprakashan.com
... यदि आप इच्छुक हो और अनुदित सामग्री उपलब्ध हो तो मैं इसे प्रकाशित करने में इच्छुक होऊंगा....
यदि आप इच्छुक होंगे तो आगे बात की जा सकती है...
सादर
अरुण चन्द्र रॉय
९८११७२११४७
amazing translation!
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