Saturday, November 26, 2011

नाओमी शिहाब न्ये : निगाहों की जांच


नाओमी शिहाब न्ये की कविता...

















निगाहों की जांच : नाओमी शिहाब न्ये 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

D है हताश. 
और B चाहता है छुट्टी 
रहना चाहता है किसी विज्ञापन-पट पर,
होकर बड़ा और बहादुर. 
E नाराज है R से कि उसने धकेल दिया है उसे मंच से पीछे. 
छोटा c बनना चाहता है बड़ा C मुमकिन हो अगर, 
और P खोया हुआ है ख़यालों में. 

कहानी, कितना बेहतर है कहानी होना. 
क्या तुम पढ़ सकती हो मुझे ? 

हमें रहना पड़ता है इस सफ़ेद पट पर 
साथ-साथ एक -दूसरे के पड़ोस में. 
जबकि होना चाहते थे हम किसी बादल की दुम
जहाँ एक हर्फ़ तब्दील होता दूसरे में, 
या चाहते थे गुम हो जाना किसी लड़के की जेब में 
फाहे की तरह बेडौल, 
वही लड़का जो भैंगी आँखों से पढ़ा करता है हमें 
लगता है उसे कि हम में छिपा है कोई गूढ़ सन्देश. 
काश कि उसके दोस्त बन पाते हम. 
आजिज आ चुके हैं इस बेमतलबपन से. 
                    :: :: :: 
(नई बात से साभार) Manoj Patel 

3 comments:

  1. एक कहानी ही तो है ये कविता .. मनोज जी धन्यवाद साझा करने के लिए..

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  2. इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आपका आभार ।

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  3. सबमें ही छिपा है गूढ़ सन्देश!
    आभार!

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