एथलबर्ट मिलर की एक कविता...

प्रत्येक भाषा में : एथलबर्ट मिलर
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मुझे याद दिलाओ (फिर से) कि तुम कितनी खूबसूरत हो
फिर से थिरकना सिखा दो मेरे शब्दों को
हाँ, उन्हें सिखा दो कविता
मेरे शब्दों को झाँकने दो अपनी आँखों में
और चखने दो अपने होंठों को
यही तो याद आता है मुझे
जब तुम चली जाती हो (फिर से)
कि कितनी सूनी होती हैं सड़कें
तुम्हारी बाहों के बगैर
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Manoj Patel

अथाह चाह से भरे प्रेम का इच्छा-पत्र... छोटे आकार मे बड़ी कविता...
ReplyDeleteKitnee soonee hotee hain sadken tumhaaree baahon ke baghair..
ReplyDeleteSundar..
" फिए से थिरकना सिखा दो मेरे शब्दों को "
ReplyDeleteवो कविता ही क्या जिसको पढ़ के आह या वाह ना निकले !
ReplyDeleteकि कितनी सूनी सूनी होती हैं सड़कें
तुम्हारी बाँहों के बगैर ...
Khoob...
ReplyDeleteशब्दों की थिरकन स्पष्ट सुनाई पद रही है कविता में!
ReplyDeleteसुंदर!
शब्दों की थिरकन स्पष्ट सुनाई पड़ रही है कविता में!
ReplyDeleteसुंदर!