Monday, November 14, 2011

एथलबर्ट मिलर : प्रत्येक भाषा में

एथलबर्ट मिलर की एक कविता...



प्रत्येक भाषा में : एथलबर्ट मिलर 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

मुझे याद दिलाओ (फिर से) कि तुम कितनी खूबसूरत हो 
फिर से थिरकना सिखा दो मेरे शब्दों को 
हाँ, उन्हें सिखा दो कविता 
मेरे शब्दों को झाँकने दो अपनी आँखों में 
और चखने दो अपने होंठों को 
यही तो याद आता है मुझे 
जब तुम चली जाती हो (फिर से) 
कि कितनी सूनी होती हैं सड़कें 
तुम्हारी बाहों के बगैर 
                    :: :: :: 
Manoj Patel 

7 comments:

  1. अथाह चाह से भरे प्रेम का इच्‍छा-पत्र... छोटे आकार मे बड़ी कवि‍ता...

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  2. Kitnee soonee hotee hain sadken tumhaaree baahon ke baghair..
    Sundar..

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  3. " फिए से थिरकना सिखा दो मेरे शब्दों को "

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  4. वो कविता ही क्या जिसको पढ़ के आह या वाह ना निकले !

    कि कितनी सूनी सूनी होती हैं सड़कें
    तुम्हारी बाँहों के बगैर ...

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  5. शब्दों की थिरकन स्पष्ट सुनाई पद रही है कविता में!
    सुंदर!

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  6. शब्दों की थिरकन स्पष्ट सुनाई पड़ रही है कविता में!
    सुंदर!

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