बहुत खुशी की बात है कि 'माडर्न पोएट्री इन ट्रांसलेशन' के ताजा अंक 'द डायलेक्ट आफ द ट्राइब' में पाकिस्तान के मशहूर कवि अफ़ज़ाल अहमद सैयद की पांच कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुए हैं. उर्दू से अंग्रेजी अनुवाद कोलकाता में रहने वाले कवि और पत्रकार नीलांजन हजरा ने किए हैं. प्रस्तुत है इन्हीं पांच कविताओं में से एक कविता जो उनके संग्रह 'दो ज़ुबानों में सजाए मौत' ( دو زبانوں ميں سزاۓ موت) से ली गई है.
तुम्हारी उंगलियाँ : अफ़ज़ाल अहमद सैयद
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
तुम्हारी उँगलियों ने
दलदल में डूबते हुए शख्स को
अलामती बोसा नहीं दिया
मर जाने वाले आदमी की
आँखें नहीं बंद कीं
जो गिरहें
तुम्हारी उंगलियाँ खोल सकती थीं
तुमने उन्हें
उन खंजरों से काट दिया
जो इंसानी कुर्बानी के लिए इस्तेमाल किए गए
जहां से तुम्हारी उंगलियाँ गुजरती हैं
एक छाँव है
जो कभी एक दरख़्त थी
तुम्हारी उंगलियाँ
छाँव में खूबसूरत लगती हैं
और तुम
तारीकी में
तारीकी में
जहां एक जख्मी परिंदा है
जिसके पिंजरे का दरवाजा
तुम्हारी उंगलियाँ कभी नहीं खोलेंगी
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अलामती बोसा : फ़्लाइंग किस
गिरहें : गांठें
तारीकी : अन्धेरा
AFZAL AHMED SYED - افضال احمد سيد Death Sentence in Two Languages
मार्मिक कविता !
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता |
ReplyDeleteजो गिरहें
ReplyDeleteतुम्हारी उंगलियाँ खोल सकती थीं
तुमने उन्हें उन खंजरों से काट दिया
जो इंसानी कुर्बानी के लिए इस्तेमाल किए गए