Wednesday, November 9, 2011

ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ


अब्बास कियारोस्तामी ईरान के प्रसिद्द फिल्म निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी कियारोस्तामी फोटोग्राफी और कविताओं में भी खासा दखल रखते हैं. यहाँ उनके संग्रह 'वाकिंग विद द विंड' से कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं.    









अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

पतझड़ की दोपहर :
हौले से गिरती है 
गूलर की एक पत्ती 
और स्थिर हो जाती है 
अपनी परछाईं पर 
:: :: :: 

तेज हो रही है हवा 
किस पत्ती की बारी है गिरने की 
:: :: :: 

हवा 
खोल देती है 
पुराना दरवाजा 
और शोर मचाते हुए 
बंद करती है उसे 
दस बार 
:: :: :: 

कोई 
कुछ भी नहीं कर सकता 
जब आसमान आ जाता है 
बरसने पर 
:: :: :: 

खिड़की के रास्ते 
कालीन के फूल पर 
चमकता है पतझड़ का सूरज 
एक मधुमक्खी अपना सर पटकती है खिड़की के शीशे पर 
:: :: :: 

कहाँ होगा वह 
क्या कर रहा होगा 
वह जिसे मैं कब का भूल चुका हूँ 
:: :: :: 

जैसे हमेशा तय होती है मुलाक़ात मेरी 
किसी शख्स से 
वह आएगा नहीं 
याद नहीं आ रहा उसका नाम 
:: :: :: 

वह बड़ा हुआ और बड़ा ही होता गया 
पूरा बड़ा हो गया वह 
फिर छोटा हुआ और छोटा ही होता गया 

आज की रात 
अमावस की रात है 
:: :: :: 
Manoj Patel 

6 comments:

  1. " कहाँ होगा वह
    क्या कर रहा होगा
    वह जिसे मैं कब का भूल चुका "....!!!

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  2. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-694:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  3. kya bat hai...alag tarah ki soh...bhai wah

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  4. अच्छी लगी!
    शुभकामनाएं!

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  5. वाह! साधारण को असाधारण बनाने का कमाल!

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