नोबेल पुरस्कार विजेता टॉमस ट्रांसट्रोमर की एक कविता...
दो शहर : टॉमस ट्रांसट्रोमर
(अनुवाद : मनोज पटेल)
एक जलडमरूमध्य के दोनों तरफ, दो शहर
एक दुश्मनों के कब्जे में, अँधेरे में डूबा हुआ
और दूसरे में जल रही हैं बत्तियां.
रोशन किनारा सम्मोहित करता है अँधेरे किनारे को.
बेखुदी की हालत में तैरता हूँ
झिलमिलाते काले समुद्र में.
मंद-मंद गूंजती है एक तुरही.
वह एक दोस्त की आवाज़ है, अपनी कब्र उठाओ और निकलो.
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Manoj Patel
बहुत बहुत आभार ||
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ||
'वह एक दोस्त की आवाज़ है, अपनी कब्र उठाओ और निकलो.'क्या व्यंजना है! कविता का अर्थ जैसे एक दमक के साथ खुल जाता है.
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