निज़ार कब्बानी की दो कविताएँ...
निज़ार कब्बानी की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
ओह मुसाफिर
बीत गए दस साल
मगर अब भी तुम
जैसे मेरे पहलू में धंसी हुई बरछी
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कोई दिमाग
कोई तर्क नहीं है
हमारे प्यार के पास
पानी पर चलता है प्यार हमारा
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Manoj Patel
पानी पर चलने का सुंदर विम्ब...
ReplyDeleteवाह!
अल्प शब्दों में कितने गहरे सत्य...
ReplyDeleteपानी पर चलता है प्यार हमारा, बहुत अच्छा
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