Tuesday, December 6, 2011

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : आखिरी शाम कहाँ गुजारनी चाहिए

आज पढ़िए पाकिस्तान के मशहूर कवि अफ़ज़ाल अहमद सैयद की यह ताजा कविता... 


आखिरी शाम कहाँ गुजारनी चाहिए : अफ़ज़ाल अहमद सैयद 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल) 

आखिरी शाम कहाँ गुजारनी चाहिए 

एक खूबसूरत नौआबादियाती इमारत के अहाते में लगने वाली 
पुरानी किताबों के बाज़ार में 

अपने घर के करीब 
एक समुन्दर के किनारे 
जिससे कोई तूफ़ान नहीं टकराता 

किसी पुरतकल्लुफ़ काफी हाउस में 
(उठते वक़्त खिदमतगार के लिए एक कसीर रकम छोड़ते हुए) 

अपने कमरे में मुक़फ्फ़ल होकर 
या 
पार्क में बच्चों को खेलते हुए देखने में 
जैसा कि मर्लिन मुनरो ने किया 
                                                                      04 /12 /2011 
                    :: :: :: 

नौआबादियाती : औपनिवेशिक 
पुरतकल्लुफ़      : तड़क-भड़क वाले  
कसीर              : बहुत ज्यादा 
मुक़फ्फ़ल          : बंद 
Manoj Patel افضال احمد سيد

4 comments:

  1. .....और दिल को जो विकल्प सबसे ज्यादा भाए वह ही हर शाम करना चाहिए...
    कौन जाने कौन सी शाम आखिरी हो!!!
    आभार लिप्यन्तरण के लिए!

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  2. मुसश्किल सवाल है और जवाब भी…

    ReplyDelete
  3. समुन्दर के किनारे .......क्या ख़याल है ?......बहुत अच्छी कविता.......!!

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