चेस्लाव मिलोश की एक कविता...
प्यार : चेस्लाव मिलोश
(अनुवाद : मनोज पटेल)
प्यार का मतलब होता है खुद को उस तरह से देखना सीखना
जिस तरह कोई देखता है दूर की चीजों को
क्योंकि तुम तमाम चीजों में से सिर्फ एक चीज भर हो.
और जो कोई भी देखता है उस तरह से, वह अनजाने ही
चंगा कर लेता है अपने दिल को अनेक बीमारियों से -
एक चिड़िया और एक पेड़ उससे कहते हैं : दोस्त.
फिर वह इस्तेमाल करना चाहता है खुद को और चीजों को
ताकि वे रहें परिपक्वता की दीप्ति में.
यह जरूरी नहीं कि वह जानता ही हो अपनी सेवा के बारे में :
सबसे बेहतर सेवा करने वाला हमेशा समझता नहीं है.
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manojpatel
परिपक्वता की दीप्ति!
ReplyDelete.
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, आभार .
पधारें मेरे ब्लॉग पर भी, आभारी होऊंगा.
'प्यार' को देखने कि एक विरल एवं परिपक्व दृष्टि. 'एक चिड़िया और एक पेड़ उससे कहते हैं: दोस्त.' सामान्यतया दुर्लभ अभिव्यक्ति है यह!
ReplyDeleteक्योंकि तुम तमाम चीजों में से सिर्फ एक चीज भर हो.........बहुत अदभुत प्यार ....!!!!
ReplyDeleteयह जरुरी नहीं कि वह जानता ही हो ........... सबसे बेहतर सेवा करनेवाला हमेशा समझता नहीं है, इन पंक्तियों में प्रेम की तीव्रता का अहसास होता है जहाँ प्यार सिर्फ अपने होने को प्रकट करता है. मनोज जी आपको फिर एक बार साधुवाद अनुवाद के लिए.
ReplyDeleteअद्भुत।
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