Saturday, November 12, 2011

निज़ार कब्बानी : पानी पर चलता है प्यार हमारा


निज़ार कब्बानी की दो कविताएँ... 


निज़ार कब्बानी की कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

ओह मुसाफिर 
बीत गए दस साल 
मगर अब भी तुम 
जैसे मेरे पहलू में धंसी हुई बरछी 
:: :: :: 

कोई दिमाग 
कोई तर्क नहीं है 
हमारे प्यार के पास 
पानी पर चलता है प्यार हमारा 
:: :: :: 
Manoj Patel 

3 comments:

  1. पानी पर चलने का सुंदर विम्ब...
    वाह!

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  2. अल्प शब्दों में कितने गहरे सत्य...

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  3. पानी पर चलता है प्यार हमारा, बहुत अच्छा

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