Wednesday, November 16, 2011

अरुंधती राय : आकुपाई वाल स्ट्रीट आन्दोलन बहुत महत्वपूर्ण है

अरुंधती राय इस समय न्यूयार्क के दौरे पर हैं जहां आज उनका कार्यक्रम आकुपाई वाल स्ट्रीट आन्दोलन को संबोधित करने का था. इस बीच इस तरह की ख़बरें आ रही हैं कि पुलिस ने दमनात्मक कार्यवाही करते हुए प्रदर्शन स्थल को खाली करा लिया है. कोई दो दिन पहले डेमोक्रेसी नाउ के साथ एक टी वी/रेडियो इंटरव्यू में अरुंधती राय ने आकुपाई वाल स्ट्रीट आन्दोलन एवं अपनी नई किताब 'वाकिंग विद द कामरेड्स' से  सम्बंधित कुछ सवालों के जवाब दिए थे. यहाँ इस इंटरव्यू के आकुपाई वाल स्ट्रीट आन्दोलन से सम्बंधित अंशों का अनुवाद प्रस्तुत है.  


इस राजनैतिक ढाँचे को ढहाया जाना बहुत जरूरी है : अरुंधती राय 
(अनुवाद/सम्पादन : मनोज पटेल)

आकुपाई वाल स्ट्रीट आन्दोलन में आन्दोलनकारी जो कुछ भी कर रहे हैं वह इतना महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि यह साम्राज्य, या जो कभी साम्राज्य हुआ करता था, के ह्रदय क्षेत्र में घटित हो रहा है. ऐसे माडल की आलोचना एवं उसका विरोध, शेष विश्व जिसकी अभिलाषा रखता हो बहुत महत्वपूर्ण और बहुत गंभीर काम है. इससे मुझे काफी उम्मीदें हैं क्योंकि लम्बे समय के बाद आप यहाँ किसी बढ़ते हुए राजनैतिक, वास्तविक अर्थों में राजनैतिक गुस्से को देख रहे हैं.  

अभी काफी कुछ विचार किए जाने की आवश्यकता है मगर मैं यह कहूंगी कि लोगों ने एक तरह का सपना देखना शुरू कर दिया है और वह सपना इस राजनैतिक ढाँचे को ढहाने का ही हो सकता है जिसमें थोड़े से लोगों को असीमित मात्रा में राजनैतिक और कारपोरेट दोनों तरह की सत्ता और पैसा अपने हाथों में रखने का अवसर मिलता है. इस ढाँचे को ढहाया जाना बहुत जरूरी है और इस आन्दोलन का यही लक्ष्य होना चाहिए. उसके बाद इस आन्दोलन को मेरे जैसे लोगों के देश की तरफ बढ़ना चाहिए जहां लोग अमेरिका को बहुत महान, बहुत आकांक्षापूर्ण माडल के रूप में देखते हैं. मैं आपको बता सकती हूँ कि इस तरह की बहुत सी अच्छी चीजें अभी भारत में मौजूद है. वहां इतना जुल्म है कि वह वाल स्ट्रीट के प्रतिरोध को भी अच्छी खासी राजनैतिक समझ मुहैया करा सकता है. मेरे लिए तो मध्य भारत के वन प्रदेश में रहने वाले विरोधकर्ता और वाल स्ट्रीट के प्रदर्शनकारी एक बड़ी पाईपलाइन से जुड़े हुए हैं और मैं भी उस पाईपलाइन में मौजूद लोगों में से एक हूँ. 

अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर ओबामा के आसीन होने पर मैं बहुत खुश हो जाने वाले लोगों में से नहीं थी. आप देखिए कि उन्होंने क्या किया है? अफगानिस्तान के युद्ध का विस्तार उन्होंने पाकिस्तान तक कर दिया है. प्रत्येक दिन लोग ड्रोन हमलों में मारे जा रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि उन्हें पता भी है कि वे उस उपमहाद्वीप में क्या कर रहे हैं. 

मुझे हमेशा ओबामा के मीठे, वाकपटु भाषणों को सुनकर बहुत उलझन होती है जिनका अक्सर कोई मतलब भी नहीं होता. मैं सोचा करती हूँ कि यदि जार्ज बुश ने वह किया होता जो ओबामा कर रहे हैं तो अब तक सब लोग उन्हें फासिस्ट कहना शुरू कर चुके होते. मगर हम पीछे हटकर यहाँ घटित हो रही चीजों के लिए बहुत जगह छोड़ देते हैं, आप समझते ही हैं, वही पुराना भंवरजाल --कोई जो काम दिन में कर दे रहा था दूसरा उसे रात में कर रहा है. लोग इस दृश्य में इतना उलझे हैं कि आपके पास जो एकमात्र विकल्प होता है वह होता है रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच या कांग्रेस और भाजपा के बीच. हमारी कल्पनाशक्ति इस तरह की चुनावी राजनीति में कैद कर दी गई है और हमें लगता है कि हमें उनके बारे में अच्छी-अच्छी बातें बोलनी चाहिए. मगर मुझे नहीं लगता कि मुझे उनके बारे में अच्छी-अच्छी बातें ही बोलनी चाहिए.  
                                                                :: :: :: 
Manoj Patel 

3 comments:

  1. इस आंदोलन-प्रदर्शन की नई परिघटना के महत्व का सारतत्व तो यह है, पर कुछ ज़्यादा ही संक्षिप्त है. अरुंधति तो वैसे भी ज़रूरत से ज़्यादा लंबे खुलासे करने की अभ्यस्त हैं, ऐसे में यह बात को अधबीच में छोड़ देने जैसा है.

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  2. अभी पूरे इंटरव्यू का प्रसारण नहीं हुआ है.

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