Tuesday, November 22, 2011

लेमोनी स्निकेट : आक्युपाई आन्दोलन पर कुछ टिप्पणियाँ


'आक्युपाई वाल स्ट्रीट' आन्दोलन के समर्थन में अमेरिकी लेखक लेमोनी स्निकेट ने कुछ टिप्पणियाँ पेश की हैं...  

Lemony Snicket

आक्युपाई वाल स्ट्रीट आन्दोलन को थोड़ा दूरी से देखते हुए कुछ विचार : लेमोनी स्निकेट 
(अनुवाद : मनोज पटेल

1. यदि आप कड़ी मेहनत करके सफल हो जाते हैं तो कोई जरूरी नहीं है कि आप अपनी मेहनत की वजह से सफल हुए हों, ठीक वैसे ही जैसे यदि आप लम्बे बालों वाले एक लम्बे व्यक्ति हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि यदि आप गंजे होते तो आप बौने होते. 

2. "ऐश्वर्य" शब्द का तात्पर्य है ढेर सारा पैसा होना और ढेर सारी तकदीर होना, मगर इसका यह मतलब नहीं कि इस शब्द के दो अर्थ हैं. 

3. जो लोग यह कहते हैं कि पैसे का कोई महत्व नहीं वे दरअसल उन लोगों की तरह होते हैं जो यह कहते पाए जाते हैं कि केक का कोई महत्व नहीं - शायद इसलिए क्योंकि उनके पास पहले से ही उसके कुछ टुकड़े होते हैं. 

4. हो सकता है कि आपके पास अपना केक दूसरों के साथ बांटने की कोई वजह न हो. आखिरकार यह आपका ही है. शायद इसे आपने खुद ही बेक किया है, एक ऐसे ओवन में बेक किया है जिसे आपने खुद अपने कारखाने में बनाया था, ऎसी सामग्री से जिसे आपने खुद अपने खेतों में पैदा किया था. मुमकिन है कि आप अपना पूरा केक अपने पास रखें और अगल-बगल के भूखे लोगों को यह समझा सकें कि आप कितने न्यायप्रिय हैं. 

5. जिसे यह महसूस हो रहा हो कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है, उसी व्यक्ति की तरह होता है जिसे प्यास महसूस हो रही हो. उन्हें यह मत बताइए कि उन्हें गलत महसूस हो रहा है. उनके साथ बैठिए और गला तर करिए. 

6. अपने आप से मत पूछिए कि कोई चीज न्यायपूर्ण है या नहीं. यह बात किसी और से पूछिए, मसलन सड़क पर जा रहे किसी अजनबी से. 

7. अपने साथ नाइंसाफी होने को महसूस कर रहे सड़क पर उतर आए लोगों में जोर-जोर से चिल्लाने की प्रवृत्ति होती है क्योंकि एक आलीशान इमारत के भीतर अपनी आवाज पहुंचाना बहुत मुश्किल होता है.  

8. समस्याएँ सुलझाने का काम हमेशा आलीशान इमारतों के बाहर खड़े होकर चिल्ला रहे लोगों का ही नहीं होता. बहुधा यह काम इमारत के भीतर के लोगों का होता है जिनके पास कागज़, कलम, मेज और एक भव्य नजारा होता है. 

9. ऐतिहासिक रूप से ऎसी कहानी दुखांत कहानी साबित हुई है जिसमें आलीशान इमारतों के भीतर बैठे लोगों ने इमारत के बाहर खड़े उनपर चिल्ला रहे लोगों को नजरअंदाज किया है या उनपर तंज किया है. 

10. 99% एक बहुत बड़ा हिस्सा होता है. उदाहरण के लिए, 99% लोगों को निस्संदेह अपने सर के ऊपर एक छत की जरूरत हो सकती है, उन्हें अपनी मेज पर खाना और कभी-कभार केक का एक टुकड़ा चाहिए हो सकता है. इस बात से असहमत उन थोड़े से 1% लोगों के साथ निश्चित रूप से कोई व्यवस्था बनाई जा सकती है. 
                                                               :: :: ::  
Manoj Patel 

3 comments:

  1. आक्युपाई आन्दोलन से जुड़े विचार पढवाने के लिये आभार.. जब बात ९९% लोगों की हो रही हो तो हम अलग कैसे रह सकते है.. हम भी तो उनमें से ही एक हैं.

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  2. बेहद ही बढिया समझाते हुए लिखा है। हमेशा लगे रहो ऐसे बेहतरीन जानकारी देने में।

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  3. 7वें कथन के बाद सब बहुत पसन्द आए। अच्छा। धन्यवाद।

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