Friday, March 2, 2012

राबर्तो हुआरोज़ की कविता

राबर्तो हुआरोज़ की एक और कविता...  


राबर्तो हुआरोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

कभी-कभी ऐसा लगता है 
कि हम केंद्र में हैं किसी समारोह के.
लेकिन
कोई भी नहीं होता समारोह के केंद्र में.
समारोह के केंद्र में होता है शून्य.

मगर एक और समारोह होता है शून्य के केंद्र में.
                    :: :: :: 
राबर्तो हुआरोस राबर्तो हुआर्रोज़ राबर्टो हुआर्रोज़

6 comments:

  1. this is beautiful..... incredible!

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  2. रहस्यमय सत्य और कितना सटीक!
    आभार!

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  3. सुन्दर और सार्थक , बधाई.

    आपका मेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर स्वागत है.

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  4. एक अटूट सत्य...कोई नहीं केन्द्र में होता कभी भी कहीं भी...उसके सिवा...

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  5. bilkul satik hai manoj bhai aapne to jabardast likha hai ,kya bat hai

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