Monday, March 26, 2012

येहूदा आमिखाई : बीहड़ यादें

येहूदा आमिखाई की एक और कविता...  

 
बीहड़ यादें : येहूदा आमिखाई 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

इन दिनों मुझे याद आती है तुम्हारे बालों को लहराती हवा, 
और याद आता है तुम्हारे आने के पहले 
इस दुनिया में बीता अपना समय,   
और वह अनंतता जिधर मैं चल पड़ा तुमसे पहले; 

और उन गोलियों को याद करता हूँ जिन्होनें मारा नहीं मुझे, 
मगर मार डाला मेरे दोस्तों को -- 
उन्हें, जो मुझसे बेहतर थे  
क्योंकि जिए जाना छोड़ दिया उन्होंने; 

और तुम्हें याद करता हूँ, गर्मियों में 
नग्न खड़ी चूल्हे के सामने 
या बेहतर पढ़ने के लिए झुकी हुई एक किताब पर 
ढलते हुए दिन की रोशनी में.  

हाँ, ज़िंदगी से कुछ ज्यादा ही था हमारे पास. 
बहुत जरूरी है हमारे लिए 
संतुलित करना हर चीज को भारी स्वप्नों से, 
और जड़ना बीहड़ यादों को 
उस चीज पर जो कभी आज था. 
                    :: :: ::

5 comments:

  1. main un goliyon ko yaad karta hoon jinhone nahi mara mujhe.....kya baat hai, kitne aram se kitni badi baten kahi ja rahi hain, kitni powerful cheez hai kavita aur kitne powerful hain aap donon, behtareen

    ReplyDelete
  2. Bhavnaon me baha le jati bahut sundar kavita aur behatareen anuvaad!!
    Ye blog to ek pustak ke roop me sankalit karne yogy hai!!!

    ReplyDelete
  3. आभार |

    प्रबल भाव ।

    ReplyDelete
  4. अपने साथ ली चलने की अकूत कुववत वाली कविता. दूसरा अनुच्छेद अविस्मरणीय है.

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...